लेकिन, गांव के युवा-युवती, उभरते नेता व उनकी बिरादरी के लोगों में पटना में चल रह सियासी गतिविधियों से संबंधित समाचार जानने की बेचैनी जरूर दिखी. गांव में चाय की दुकान पर पिंटू, सुकेश कुमार चर्चा में व्यस्त दिखे. कह रहे थे, नेताजी के का होब हई.
घरवा के केउ अदमिया भी तो न आबइत हई कि कुछ जानकारी मिलक्ष्. बिस्कुट, लेमनचूस व मिक्सचर बेच रहे राजेश को इसकी कोई परवाह नहीं. वह छोटे बच्चों के बीच उलझा था. गांव में बन रहे मॉडल थाने में काम करे मजदूर सिद्धेश्वर मांझी ने कहा उन्हें कुछ मालूम नहीं. लेकिन, एक बात जरूर हइ बाबू कि एतना मनी काम बढ़ जाए से हमनी के गामे में काम मिले लगलक्ष्. काम लगी फिफिहा होल दउड़ल चलù हली. अब उ (जीतन राम मांझी) सीएम न रहतथी त हमनी के काम के फिर लाला पड़ जायके डर सतावे लगलो हे. गांव की गली में अपने-अपने काम में मशगूल बबीता देवी व किरण देवी ने कहा रोज-रोज तोहनी पूछे का आब हह जी. अउर कोई काम न हब का. उनका (जीतन राम मांझी) सीएम बनला से गांव के इज्जत बढ़ गेलई, ऊहो सब के सोहात न हई.
जे भगवान चाहतथी से होबे करतई. उधर, खेतिहर मजदूर भी काम में व्यस्त दिखे. लेकिन, युवा वर्ग व उभरते नेता रेडियो व टेलीविजन पर समाचार से चिपके दिखे. गांव के इक्के-दुक्के लोग उनसे आकर पूछते कि का होलई हो, सब ठीक त हई न. सीएम के घर के पास पुलिस का पहरा था. दरवाजा खुला था, पर वहां आस-पास कोई नहीं दिखा. गांव में लोग खुश हैं कि आजादी से लेकर अब जो कुछ भी उन्हें नहीं मिला था, उसकी भरपाई उनके गांव के जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद लगभग हो गयी. स्वास्थ्य, बिजली, सुरक्षा, सड़कें, नाली, शिक्षा व सिंचाई के साधन के अलावा और भी बहुत कुछ. गांव में चाय की दुकान नहीं थी, जो खुल गयी. रोजगार के भी अवसर मिलने लगे हैं.