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बिहार की हकमारी: केंद्र सरकार ने रोके 29 हजार करोड़ रुपये

पटना: केंद्र सरकार बिहार के हिस्से की राशि देने में हकमारी कर रही है. केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस), अतिरिक्त केंद्रीय सहायता या सेंट्रल प्लान स्कीम (सीपीएस) और केंद्रीय टैक्स में बिहार की हिस्सेदारी समेत तीनों मदों में केंद्र कटौती कर रहा है. चालू वित्त वर्ष खत्म होने में महज दो महीने बचे हैं, लेकिन अभी […]

पटना: केंद्र सरकार बिहार के हिस्से की राशि देने में हकमारी कर रही है. केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस), अतिरिक्त केंद्रीय सहायता या सेंट्रल प्लान स्कीम (सीपीएस) और केंद्रीय टैक्स में बिहार की हिस्सेदारी समेत तीनों मदों में केंद्र कटौती कर रहा है. चालू वित्त वर्ष खत्म होने में महज दो महीने बचे हैं, लेकिन अभी तक राज्य के 29 हजार करोड़ रुपये बकाया है.
12 हजार करोड़ रुपये टैक्स का बकाया : केंद्रीय टैक्स में राज्य के शेयर की बात करें, तो लगभग 12 हजार करोड़ रुपये राज्य को नहीं मिले हैं. जानकारों का कहना है कि बचे दो महीने में 12 हजार में 6 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं मिलेंगे. ऐसी स्थिति सिर्फ टैक्स शेयर में राज्य को करीब छह हजार करोड़ रुपये का सीधे तौर पर घाटा होने की आशंका है. यह ध्यान देनेवाली बात है कि केंद्र उन्हीं विभागों में पैसे की कटौती कर रहा है, जिनमें निर्माण या जनकल्याण से जुड़ी योजनाएं ज्यादा हैं या जिनका सीधे तौर पर आम लोगों से सरोकार ज्यादा है. वहीं,अल्पसंख्यक कल्याण, बीसी-इबीसी, गृह, पर्यटन व विधि समेत कुछ अन्य विभाग ऐसे हैं, जिन्हें केंद्र की तरफ से आवंटन मिल चुका है. ग्रामीण कार्य विभाग अपवाद है. इसमें केंद्र से 1650 करोड़ में से 1534 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, जबकि निर्माण से जुड़े अन्य विभागों की हालत ऐसी नहीं है.
यहां हो रही कटौती
राज्य के विभिन्न विभागों में 53 केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस) चलती हैं. इन योजनाओं में राज्य को 10 से 25 फीसदी तक मैचिंग ग्रांट देना पड़ता है. शेष राशि केंद्र देता है. इनमें योजनाओं में 16 हजार 668 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन 31 जनवरी तक 10 हजार 95 करोड़ रुपये ही मिले हैं यानी 6573 करोड़ रुपये कम मिले हैं.
अगर इसमें बीआरजीएफ (बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड) और 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत पंचायती राज विभाग के फंड को मिला दें, तो कटौती में करीब एक हजार करोड़ की वृद्धि होगी.बीआरजीएफ में 700 में सिर्फ 200 करोड़ ही मिले हैं. वहीं, 13वें वित्त आयोग के तहत पंचायती राज विभाग को 500 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन एक रुपये भी नहीं मिला है. इस तरह इन दोनों मद में सीएसएस को मिला कर 27 हजार करोड़ में 15 हजार करोड़ ही मिले. केंद्र ने 12 हजार करोड़ की कटौती की है.
राज्य में 14 सीपीएस चलते हैं, जिनमें 8 हजार 262 करोड़ मिलने चाहिए थे लेकिन अब तक महज 3 हजार 814 करोड़ ही मिले, 4 हजार 448 करोड़ रुपये बाकी हैं. ये ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें केंद्र की तरफ से ग्रांट मिलता है या कहें योजना का पूरा पैसा केंद्र ही देता है.
सचिवों को दिल्ली में कैंप करने का निर्देश
केंद्र से लगातार हो रही कटौती के मद्देनजर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी संबंधित मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्रियों को फिर से पत्र लिखेंगे. इससे पहले भी सीएम केंद्रीय मंत्रलयों को पत्र लिख चुके हैं. साथ ही सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को आदेश दिया है कि वे दिल्ली जाकर कैंप करें और हर हाल में मंत्रलय से समय के पहले पैसे जारी करने की जतन करें. इससे संबंधित लिखित आदेश सभी विभागों को जल्द ही भेज दिया जायेगा. दिल्ली स्थित बिहार भवन में तैनात स्थानिक आयुक्त को भी सीएम ने आदेश दिया है कि वह विभागों को पैसे दिलाने की कोशिश करें. स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पंचायती राज, पीएचइडी व ग्रामीण विकास विभाग को खासतौर से जोर देने के लिए कहा गया है.
किसी विभाग को 100% नहीं मिली राशि
विभाग चाहिए मिली राशि
शिक्षा 6,667 3,557
ग्रामीण विकास 2,784 2,115
ग्रामीण कार्य 1,650 1,534
स्वास्थ्य 1,760 950
समाज कल्याण 1,390 989
पीएचइडी 793 246
कृषि 315 155
श्रम संसाधन 240 83
विभाग चाहिए मिली राशि
एससी-एसटी 131 60
पंचायती राज 125 63
अल्पसंख्यक
कल्याण 99 98
पशु एवं मत्स्य
संसाधन 42 10
उद्योग 23 1
कला संस्कृति 6.54 0.15
राजस्व 13.98 00
सीपीएस की स्थिति
विभाग चाहिए मिली
ऊर्जा 1650 22
समाज कल्याण 136 993
पंचायती राज 797 206
जल संसाधन 696 39
कृषि 465 446
पथ निर्माण 424 234
नगर विकास 419 45
एससी-एसटी 30 10
कुल केंद्रीय टैक्स में राज्य को चालू वित्तीय वर्ष में 42 हजार करोड़ की हिस्सेदारी मिलती है. ये रुपये 14 किस्तों में राज्य को मिलते हैं लेकिन 10 महीने में महज 29 हजार 955 करोड़ रुपये ही मिले हैं. करीब 12 हजार करोड़ रुपये कम मिले हैं.

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