पटना: शिक्षा मंत्री पीके शाही ने कहा कि विश्वविद्यालयों को बड़ी धनराशि राज्य सरकार देती है. कुलपति नियुक्ति में सरकार की भूमिका न हो यह अकल्पनीय है. विश्वविद्यालयों में वित्तीय अनियमितताएं हैं. यहां तक कि किताब की खरीदारी व कॉलेज प्राचार्य की नियुक्ति में धांधली की शिकायतें हैं. वह बुधवार को विधान परिषद में बिहार राज्य विवि, पटना विवि व नालंदा खुला विवि संशोधन विधेयकों को पारित करने को लेकर सरकार का पक्ष रख रहे थे. संशोधन विधेयक में कुलपति-प्रतिकुलपति की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय सर्च कमेटी बनाने की बात है.
इसके पहले अध्यादेश लाकर सर्च कमेटी बनाने का प्रयास किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसमें विभाग के प्रधान सचिव को शामिल करने को लेकर आपत्ति दर्ज की थी. इसके बाद अध्यादेश को राज्यपाल ने सरकार को वापस कर दिया था. इसमें संशोधन कर फिर से विधेयक लाया जा रहा है. श्री शाही ने कहा कि एक भ्रांति है कि यूजीसी के रेगुलेशन से हट कर विधायिका कानून नहीं बना सकती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि संसद से बने कानून को छेड़छाड़ किये बिना कोई राज्य अपना कानून बना सकता है. उनके भाषण के बाद विधान परिषद में उक्त तीनों विधेयक पारित किये गये.
राज्यपाल की नहीं मिलेगी स्वीकृति : इसके पहले भाजपा के नरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि संशोधन विधेयक में यूजीसी के रेगुलेशन का बिल्कुल ख्याल नहीं किया गया है. इसे राज्यपाल की स्वीकृति नहीं मिलेगी, इसलिए इसमें बदलाव होने चाहिए. संशोधन विधेयक में प्रतिकुलपति की नियुक्ति भी कुलपति की नियुक्ति के तर्ज पर करने की बात है, जबकि यूजीसी कहती है कि प्रतिकुलपति की नियुक्ति कुलपति के द्वार सिंडिकेट की सहमति से की जायेगी.