पटना: राज्य में एसिड अटैक कानून का पालन ठीक से नहीं हो रहा है. इस कारण एसिड अटैक पीड़ितों को न्याय मिलने में परेशानी हो रही है. इसको ध्यान में रखते हुए राज्य महिला आयोग ने स्वास्थ्य,गृह व समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा है.
पत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ‘ बिहार विष कब्जा एवं विक्रय नियमावली 2014’ के पालन के लिए सरकारी अस्पताल में एक बेड रिजर्व रखने व प्लास्टिक सजर्री की व्यवस्था लागू करने की मांग की गयी है. सूचना महिला आयोग को भी देनी की मांग की गयी है ताकि आयोग में आने वाली पीड़िताओं को सही जानकारी दी जा सके.
तीन विभागों की अहम जिम्मेवारी : नियमावली के पालन में तीन विभागों की अहम जिम्मेदारी है. स्वास्थ्य विभाग को सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था करनी है. गृह विभाग को एसिड बिक्री करने वाले दुकानों का निबंधन व बिक्री संबंधी नियमों का अनुपालन कराना है. समाज कल्याण विभाग के जरिये पीड़िता को मुआवजा व पुनर्वास राशि देने संबंधी कार्रवाई करनी है.
यह होनी है व्यवस्था
सरकारी अस्पतालों में समुचित इलाज की व्यवस्था
एक बेड रिजर्व रखने व प्लास्टिक सजर्री की व्यवस्था
एसिड की खुदरा बिक्री नियंत्रित हो
निबंधित दुकानों में ही एसिड व विष संबंधी उत्पादों की बिक्री हो
बिना आई कार्ड के विष संबंधी उत्पादों की बिक्री पर रोक
पीड़िता को मुआवजा राशि मुहैया करायी जाये
यह है गाइड लाइन
एसिड बिक्री करनेवाली दुकानें निबंधित हो
दुकानदार की उम्र 18 वर्ष हो
दुकानों में बिक्री संबंधी रजिस्टर मेंटेन हो
पीड़िता को तीन लाख मुआवजा राशि मिले
प्रथम किस्त में एक लाख रुपये घटना के 15 दिनों के अंदर मिले
दो महीने के भीतर दो लाख की राशि मुहैया करायी जाये
आयोग में दर्ज होने वाले एसिड अटैक मामलों में पीड़िता को न्याय के साथ उचित इलाज की व्यवस्था करनी है. हाल में दर्ज कई मामलों में अस्पतालों में समुचित व्यवस्था नहीं होने से पीड़िता का इलाज समय पर नहीं हो सका. ऐसे में आयोग ने पहल करते हुए समुचित कार्रवाई के लिए तीनों विभागों को पत्र लिखा है. अगस्त 2014 को समाज कल्याण जबकि दिसंबर 2014 को गृह व स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख कर इसकी सूचना दी गयी थी. अब तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
अंजुम आरा, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग