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बड़ा बदलाव: सीबीएसइ में मर्ज होगा आइसीएसइ

पटना: एक कोर्स, एक सिलेबस, एक बुक और एक ही बोर्ड से अब एजुकेशन सिस्टम चलेगा. इसको लेकर तैयारी शुरू की दी गयी है. अगले सत्र से आइसीएसइ बोर्ड को भी सीबीएसइ में मर्ज करने की योजना पर काम चल रहा है. अगर ऐसा हो जाता है तो देश भर में बस एक ही बोर्ड […]

पटना: एक कोर्स, एक सिलेबस, एक बुक और एक ही बोर्ड से अब एजुकेशन सिस्टम चलेगा. इसको लेकर तैयारी शुरू की दी गयी है. अगले सत्र से आइसीएसइ बोर्ड को भी सीबीएसइ में मर्ज करने की योजना पर काम चल रहा है. अगर ऐसा हो जाता है तो देश भर में बस एक ही बोर्ड (सीबीएसइ) के अंतर्गत सभी स्कूलों को चलाया जायेगा.

2015 से इसे लागू करने की तैयारी चल रही है. सीबीएसइ के सूत्रों की मानें तो एक समान एजुकेशन प्रणाली के अंतर्गत सीबीएसइ में भी कुछ चेंज किया जायेगा. सीबीएसइ के वर्तमान परीक्षा पैटर्न के साथ सिलेबस में भी परिवर्तन होने की बात चल रही है.

आइसीएसइ बोर्ड को नहीं है संवैधानिक मान्यता
सीबीएसइ की सूत्रों की माने तो संविधान के अनुसार सीबीएसइ को ही संवैधानिक मान्यता प्राप्त है. आइसीएसइ बोर्ड देश की आजादी के पहले ही एंग्लो इंडियन के द्वारा शुरू किया गया था, जो अभी भी चल रहा है. आइसीएसइ बोर्ड में अभी इंगलिश को प्रधानता दी जा रही है. देश में एक समान एजुकेशन प्रणाली हो, एक ही सिलेबस लागू करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. देश में एक बोर्ड को मान्यता देने की शुरुआत स्टेट लेवल पर भी होने लगा है. 2014 में केरल, तमिलनाडु, ओड़िशा, मणिपुर आदि राज्य ने बोर्ड में सीबीएसइ पैटर्न लागू किया है. वहीं इससे पहले बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्य में सीबीएसइ पैटर्न पर ही बोर्ड की परीक्षा ली जाती है.
10वीं के बाद सीबीएसइ की ओर आते हैं छात्र
आइसीएसइ बोर्ड हो या स्टेट बोर्ड, 10वीं बोर्ड देने के बाद छात्र का मकसद सीबीएसइ से इंटरमीडिएट करने का होता है. बात अगर आइसीएसइ बोर्ड की करें तो 10वीं बोर्ड देने के बाद अधिकतर छात्र सीबीएसइ से 12वीं करते हैं. ऐसे में आइसीएसइ बोर्ड में 12वीं में छात्रों की संख्या 10वीं में कुल संख्या से कम हो जाती है. वहीं स्टेट बोर्ड में भी अधिकतर छात्र 12वीं सीबीएसइ से ही करना चाहते है. इंजीनियरिंग और मेडिकल के सिलेबस सीबीएसइ के सिलेबस के अनुसार होता है. ऐसे में सीबीएसइ से 12वीं की पढ़ाई करने से छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने में मदद मिलती है.
जेइइ मेन, एआइपीएमटी, सीटीइटी आदि के साथ कई नेशनल लेवल की प्रतियोगी परीक्षा लेने की जिम्मेवारी वर्तमान में सीबीएसइ पर है. 2014 दिसंबर से यूजीसी द्वारा ली जाने वाली नेट जीआरएफ की प्रतियोगी परीक्षा भी सीबीएसइ के जिम्मे दे दिया गया है. इन परीक्षाओं के लिए सीबीएसइ ही सिलेबस और प्रश्न पत्र तैयार करती है. ऐसे में सीबीएसइ के सिलेबस पढ़ने वाले छात्रों को इसका अधिक फायदा होता है. उच्च शिक्षा में आइसीएसइ बोर्ड में छात्रों की संख्या कम होती जाती है. आइसीएसइ बोर्ड की मानें तो अधिकतर आइसीएसइ बोर्ड के अंतर्गत 10वीं तक ही पढ़ाई होती है. क्योंकि 12वीं में नामांकन कम होता है, इस कारण 12वीं की पढ़ाई कम स्कूल में ही होती है.
सिलेबस और परीक्षा पैटर्न में होगा परिवर्तन
एजुकेशन प्रणाली में परिवर्तन होने के बाद स्कूल में पढ़ाई और परीक्षा पैटर्न भी चेंज हो जायेगा. प्रोजेक्ट वर्क कम और स्कूल के टीचर्स की जिम्मेवारी अधिक हो जायेगी. सीबीएसइ में 10वीं के स्कूल बोर्ड की परीक्षा को खत्म कर दिया जायेगा. बस बोर्ड की परीक्षा ही लागू होगी. यह परीक्षा आइसीएसइ बोर्ड और सीबीएसइ दोनों पर एक समान लागू होगा. आइसीएसइ बोर्ड जहां बोर्ड का अपना सिलेबस चलता है. उसमें पूरी तरह से परिवर्तन कर दिया जायेगा.
अगले सेशन से एजुकेशन सिस्टम में काफी बदलाव होने जा रहा है. कई तरह की नयी चीजें शुरू की जायेंगी. एक बोर्ड एक एजुकेशन की बात चल रही है. सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड को एक किया जा सकता है. लेकिन अभी तक यह इंटरनल ही बातें चल रही हैं.
राजीव रंजन सिन्हा, सिटी
को-ऑर्डिनेटर, सीबीएसइ
हमारे पास ऐसी कोई जानकारी अभी तक नहीं आयी है. अगर ऐसा हुआ तो कई बेसिक चीजों से शुरुआत करनी होगी. क्योंकि दोनों के ही बोर्ड के कोर्स आदि में काफी अंतर है.
डी जे रोजेरियो, सिटी को-ऑर्डिनेटर, आइसीएसइ बोर्ड

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