बावजूद इसके उन्हें जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. जिन्होंने जांच कराने से इनकार किया, उन्हें बाहर कर दिया गया. यह सुरक्षा पिछले सोमवार को जनता दरबार में मुख्यमंत्री की ओर एक युवक द्वारा जूता उछाले जाने की घटना की वजह से बढ़ायी गयी थी.
कड़ी सुरक्षा की वजह से दोपहर साढ़े 12 बजे तक फरियादियों की इंट्री जनता दरबार में होती रही. अन्य दिनों के जनता दरबार में ऐसी स्थिति में अधिकतम 11 बजे तक इंट्री होती थी. जांच प्रक्रिया पर जदयू के आदिवासी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने नाराजगी भी जाहिर की. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब मुख्यमंत्री थे, तो ऐसी जांच नहीं होती थी. आज दलित मुख्यमंत्री होने की वजह से अधिकारी उनकी बात भी नहीं मान रहे हैं.