पटना: ऐसा माना जाता है कि मदरसा बोर्ड में सिर्फ मुसलिम छात्र-छात्रा ही पढ़ते हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से गैर मुसलिम छात्रों में भी इसका क्रेज बढ़ गया है. अगर पिछले चार सालों का रिकार्ड देखें तो पता चलेगा कि मदरसा बोर्ड में गैर मुसलिम विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मदरसा बोर्ड का रिजल्ट बेहतर होता है तथा नौकरी मिलने में भी सहूलियत होती है. मदरसा बोर्ड जब फोकानिया (मैट्रिक) और मौलवी (इंटरमीडिएट) का रिजल्ट घोषित करता है तो मुसलिम विद्यार्थियों की मेरिट लिस्ट के साथ गैर मुसलिम विद्यार्थी की भी मेरिट लिस्ट अलग से प्रकाशित करता है. मदरसा बोर्ड के अनुसार गैर मुसलिम विद्यार्थियों का रिजल्ट काफी बेहतर होता है. इस कारण बोर्ड हर साल अलग से मेरिट लिस्ट निकालता है. 2014 में मौलवी परीक्षा के लिए दस गैर मुसलिम विद्यार्थियों की मेरिट लिस्ट निकाली गयी थी. इसमें सारे के सारे ने प्रथम श्रेणी प्राप्त किये थे. वहीं फोकानिया के लिए भी टॉप टेन की मेरिट लिस्ट निकाली गयी थी. मदरसा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मुमताज आलम ने बताया कि हर साल गैर मुसलिम विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
नौकरी मिलने में होती है सुविधा
फोकानिया और मौलवी पढ़ने के पीछे का एक कारण आसानी से मिलने वाली नौकरी भी है. गैर मुसलिम छात्रों के अनुसार फोकानिया और मौलवी करने से उन्हें आसानी से नौकरी मिल जाती है. इनके लिए दो ऑप्शन होते हैं. एक तो हिंदी भाषी होने का फायदा मिलता है, वहीं उर्दू के क्षेत्र में भी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है. सत्र 2012 की फोकानिया परीक्षा का गैर मुसलिम टॉपर सुप्रिया राज के अनुसार शिक्षण कार्य के लिए उर्दू माध्यम से काफी फायदा मिलता है. अभी हाल में उर्दू टीइटी में पास होने के बाद अब शिक्षक की बहाली में सुविधा मिल जायेगी. वहीं 2014 मौलवी की गैर मुसलिम सेकेंड टॉपर पूजा कुमारी ने बताया कि दूसरे विषय में ग्रेजुएशन करने पर काफी परेशानी होती, क्योंकि हर विषय में काफी स्पर्धा है. लेकिन उर्दू पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या अभी भी कम है.
फोकानिया के लिए
साल विद्यार्थी गैर मुसलिम
2011 64565 987
2012 70798 1102
2013 50733 1582
2014 74648 2466
मौलवी के लिए
साल विद्यार्थी गैर मुसलिम
2011 69723 1824
2012 66972 2033
2013 73814 2276
2014 50435 2637