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लोस चुनाव में विदेशी काला धन लगने की आशंका

पटना: 16वां आम चुनाव देश का अब तक का सबसे खर्चीला चुनाव है. इसमें देश का या विदेशों से आया काला धन लगा होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. यह भी नहीं कह सकते कि इस चुनाव से कास्ट, माफिया, क्राइम का वर्चस्व खत्म हो गया. यही नहीं, संसद में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों […]

पटना: 16वां आम चुनाव देश का अब तक का सबसे खर्चीला चुनाव है. इसमें देश का या विदेशों से आया काला धन लगा होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. यह भी नहीं कह सकते कि इस चुनाव से कास्ट, माफिया, क्राइम का वर्चस्व खत्म हो गया. यही नहीं, संसद में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों की संख्या कम नहीं, बल्कि बढ़े हैं. एक स्टडी में यह सामने आया है कि चुनाव में 34 प्रतिशत मतदाताओं को कैश पेमेंट किया गया है.

ये बातें लोकसभा के पूर्व महासचिव व संविधान विशेषज्ञ डॉ सुभाष चंद्र कश्यप ने देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद मेमोरियल व्याख्यान हमारा संविधान, हमारा लोकतंत्र : उपलब्धियां, चुनौतियां व अपेक्षाएं विषय पर बीआइए सभागार में कहीं. मौके पर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के

अध्यक्ष अरुण अग्रवाल, बीआइए के उपाध्यक्ष निशिथ जायसवाल, महासचिव सुबोध कुमार, रामलाल खेतान, केपी झुनझुनवाला, मनीष तिवारी, संजय भरतिया आदि उपस्थित थे. संचालन बीआइए के उपाध्यक्ष संजय गोयनका ने किया.

ये भी बोले डॉ सुभाष कश्यप

नौकरशाही अभी भी शक्तिशाली

डॉ कश्यप ने कहा कि वर्तमान सरकार केवल विकास पर सत्ता में आयी थी. आज जन-मन बदलाव के लिए बेचैन है, कल बहुत देर हो जायेगी. नौकरशाही अब भी शक्तिशाली है. जब भी सुधार की बात आती है, तो सब दल एक हो जाती है. यह भी जान लें कि 16वां आम चुनाव जैसा चमत्कार रोज नहीं होता. नरेंद्र मोदी की छवि अच्छी है. वे आवश्यक निर्णय अविलंब ले सकते हैं.

लोकतंत्र बन गया लूट तंत्र

श्री कश्यप ने साफ कहा कि मेरा किसी दल से संबंध नहीं है और न रहा है. लेकिन, पिछले 20 वर्षो पर कुछ अच्छी तसवीर नहीं उभरती. लोकतंत्र को शर्मसार करने का काम किया गया है. कमरतोड़ महंगाई व गरीबी से जनता जूझ रही है. लेकिन सांसद, विधायक, मंत्री एशोआराम की जिंदगी जी रहे हैं. मानो लोकतंत्र लूट तंत्र बन गया है. छह से सात माह बीत गये, लेकिन अब तक लोकपाल बिल नहीं बना है. काला धन अब भी आता हुआ नहीं दिख रहा है. केवल एसआइटी का गठन हुआ.

63 सदस्यों को किया गया था निष्कासित

लोकसभा या राज्यसभा के सत्र के दौरान सदस्यों के शोर-शराबा व सदन को न चलने देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बात उन दिनों की है, जब एक ही दिन में 63 सदस्यों को सदन से निष्कासित किया गया था. राज्य सूचना आयुक्त अरुण वर्मा ने कहा कि डॉ सुभाष कश्यप ने 37 वर्षो तक सेवा दी है.

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