पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव को सवर्ण आयोग के साथ समीक्षा बैठक करने का निर्देश दिया. उन्होंने प्रधान सचिव को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अगर सवर्ण आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपने में सक्षम नहीं है, तो इस्तीफा दे दे.
सरकार इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करेगी. मुख्यमंत्री सोमवार को अपने विधानसभा कक्ष में जदयू विधायक मंजीत कुमार सिंह द्वारा दी गयी सूचना के बाद यह निर्देश दिया.
विधायक ने बताया कि सवर्ण आयोग की स्थापना पर 11 करोड़ रुपये खर्च हो गये और तीन साल की अवधि भी समाप्त हो गयी. मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि विधि-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का काम बोलना है. सरकार का काम विधि-व्यवस्था का सख्ती से पालन कराना है. उन्होंने बताया कि पहले किसी भी तरह की घटना के बाद कार्रवाई के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता था.
अब कार्रवाई करने के लिए समयसीमा को कम किया जा रहा है, ताकि त्वरित कार्रवाई की जाये. उन्होंने बताया कि गया में विधायक पर की गयी कार्रवाई में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है. सरकार कितना भी काम करे, पर विपक्ष इसके लिए प्रशंसा नहीं करेगा. कानून में दिन प्रतिदिन सुधार हो रहा है. पहले गरीब थाने में प्राथमिकी दर्ज नहीं कराते थे. अब गरीबों के मन से भय समाप्त हो गया है. अपने खिलाफ किये गये अत्याचारों को लेकर वे आगे आकर प्राथमिकी दर्ज करा रहे हैं. इसके कारण केस की संख्या बढ़ी है. विपक्ष का आरोप केस की संख्या बढ़ने को लेकर है, जबकि सरकार केस के डिस्पोजल की संख्या तेजी से बढ़ा रही है.