पटना: नगर निगम के आयुक्त पद पर सरकार और कोर्ट के टकराव के बीच शुक्रवार को फिर ड्रामेबाजी हुई. दोपहर तीन बजे थे कि स्टैंडिंग कमेटी के दो सदस्य आये और उन्होंने नगर आयुक्त कुलदीप नारायण के नेम प्लेट पर अपर नगर आयुक्त कपिल अशोक के नाम चिपका दिया.
इसके साथ ही नगर विकास विभाग ने 15 दिसंबर को निकले उस आदेश की कॉपी भी नोटिस बोर्ड पर चिपका दी, जिसमें कहा गया था कि अपर नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक को नगर आयुक्त का पदभार दिया जाता है. पूरे घटनाक्रम पर ऑफिस के कर्मचारियों का ध्यान चार बजे के बाद गया.
नगर निगम के कर्मचारी यह देख कर भौंचक रह गये इसके बाद जब साढ़े चार बजे के बाद कमिश्नर आये तो चपरासी ने नेम प्लेट से शीर्षत कपिल अशोक का नाम हटाया. इधर, पूरे प्रकरण में नगर निगम के आयुक्त की ओर से कोई भी सूचना ना तो जिला प्रशासन को ही दी गयी है ना ही स्थानीय पुलिस को. खबर लिखे जाने तक कोई भी एफआइआर दर्ज नहीं करायी गयी थी.
मेयर के चैंबर से निकल कर आये दोनों सदस्य
जानकारी के मुताबिक स्टैंडिंग कमेटी के दो सदस्य मेयर के चैंबर से निकल कर आये और उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया. इसमें एक वार्ड नंबर 22 और दूसरे वार्ड नंबर 58 के पार्षद थे. इधर समूचे घटनाक्रम को लोग इस वजह से सकते में थे क्योंकि पूरा मामला हाइ प्रोफाइल हो चुका है. इस मसले में सरकार की पहले ही फजीहत हो चुकी है, जब उसने कमिश्नर कुलदीप नारायण को निलंबित करने का फैसला लिया था. निलंबन के फैसले को हाई कोर्ट की डबल बेंच ने गलत करार दिया. जब ठोस कचरा प्रबंधन के मसले पर हाइकोर्ट की दूसरी बेंच ने अपर नगर आयुक्त से जवाब तलब किया तो इस मामले में फैसला लाजर्र बेंच को सौंपा गया, जिस पर फैसला आना बाकी है.