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धनराज सिंह के बेटे की मौत का मामला: कलाई घड़ी मिली, तो कहां गया बायां हाथ?

पटना: फुलवारी के होम सिगनल के पास रेलवे ट्रैक पर अमरेंद्र सिंह का शव मिलने की घटना के आठ दिन गुजर चुके हैं, लेकिन मौत का सस्पेंस खत्म नहीं हुआ है. घटनास्थल पर मिले अमरेंद्र के सामान की बात करें, तो एक बड़ा सवाल खड़ा होता है. घर में मौजूद एक तसवीर के मुताबिक अमरेंद्र […]

पटना: फुलवारी के होम सिगनल के पास रेलवे ट्रैक पर अमरेंद्र सिंह का शव मिलने की घटना के आठ दिन गुजर चुके हैं, लेकिन मौत का सस्पेंस खत्म नहीं हुआ है.

घटनास्थल पर मिले अमरेंद्र के सामान की बात करें, तो एक बड़ा सवाल खड़ा होता है. घर में मौजूद एक तसवीर के मुताबिक अमरेंद्र बायें हाथ की कलाई में घड़ी पहनते थे. रेलवे ट्रैक पर जब उनका शव मिला, तो उनका बाया हाथ गायब था, जबकि उनकी कलाई घड़ी वहीं पर पड़ी हुई थी. सवाल मौजूं है कि घड़ी वहां पर क्यों और कैसे रह गयी और हाथ कैसे गायब हो गया? क्या हाथ में ऐसे जख्म थे, जिनसे हत्या की पुष्टि हो सकती थी. अगर हां, तो हाथ किसने गायब कर दिया, अब तक पुलिस हाथ क्यों नहीं बरामद कर सकी है?

कहां रहे थे एक घंटा

गौरतलब है कि अमरेंद्र का जहां पर शव मिला है, उसके 200 गज की दूरी पर बिड़ला कॉलोनी फुलवारी में उनकी ससुराल है. घटना के दिन (नौ दिसंबर की शाम) मोबाइल ट्रैक से मिले लोकेशन के आधार पर यह साफ हो चुका है कि वह शाम पांच से छह बजे तक बिड़ला कॉलोनी के आसपास मौजूद थे, लेकिन वे ससुराल गये या नहीं, इसका पता नहीं चल सका है. रिपोर्ट के अनुसार छह बजे के आसपास उनकी मौत बतायी गयी है और उसके बाद से मोबाइल का लोकेशन मिलना बंद हो गया था. ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि पांच से छह बजे के बीच एक घंटे तक उनके साथ क्या हुआ? आरा जाने वाली बात जब मोबाइल ट्रैक से मिले साक्ष्य के बाद खारिज हो चुकी है, तो फिर उनकी जेब में टिकट कैसे आया? उनकी जेब में पापा लिखी हुई परची किसने डाली? इसका जवाब अभी पुलिस को ढूंढ़ना है. दूसरा सवाल शव के ट्रैक पर पड़े रहने को लेकर है. अगर मौत को आत्महत्या मान लिया जाय, तो शाम छह से सुबह चार बजे तक शव को ट्रैक पर होना चाहिए. अगर शव ट्रैक पर इतनी देर तक था, तो शरीर के अन्य अंग सुरक्षित कैसे थे? इसी तरह के सवाल उनके बायें हाथ को लेकर है. जब कलाई घड़ी मौके पर थी, तो बायां हाथ कहां गया?

परची की हैंड राइटिंग से खुल सकता है राज

अमरेंद्र के मौत मामले में उनके मोबाइल की तलाश बेहद जरूरी है. उनकी जेब से मिली पापा व मोबाइल नंबर लिखी परची की हैंड राइटिंग की जांच गंभीरता से होनी चाहिए. हैंड राइटिंग अगर अमरेंद्र की नहीं है, तो घटना के अंजाम देनेवाले चेहरे बेनकाब हो सकते हैं. शरीर से अलग हो चुका बायां हाथ इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उस पर मौजूद जख्म की जांच से घटना का राज खुल सकता है.

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