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अधूरी छोड़ दी एक हजार किमी सड़क

पटना: ठेकेदारों व अभियंताओं की मिलीभगत से ग्रामीण कार्य विभाग की एक योजना न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के तहत एक हजार किमी सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. चालू वित्तीय वर्ष से यह योजना बंद भी हो चुकी है. अब इन अधूरी सड़कों को किसी और फंड या योजना से बनाने पर विचार चल रहा […]

पटना: ठेकेदारों व अभियंताओं की मिलीभगत से ग्रामीण कार्य विभाग की एक योजना न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के तहत एक हजार किमी सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. चालू वित्तीय वर्ष से यह योजना बंद भी हो चुकी है. अब इन अधूरी सड़कों को किसी और फंड या योजना से बनाने पर विचार चल रहा है.

समीक्षा बैठक में हुआ खुलासा
एमएनपी में हुए कार्यो की बीते दिन समीक्षा बैठक हुई. इसमें जब आधी-अधूरी सड़कों के निर्माण का खुलासा हुआ, तो अधिकारियों ने इसे प्राथमिकता के तौर पर पूरा करने का निर्णय लिया. वित्तीय वर्ष 2006-07 में एमएनपी कार्यक्रम शुरू हुआ. गांवों में सड़क बनाने के लिए उस वर्ष से 2011-12 तक कुल 1036 योजनाओं का चयन किया गया. लेकिन, इनमें से 739 ही पूरी हो सकीं और 283 का काम अब भी आधा-अधूरा है. इन योजना के तहत राज्य में 4682 किमी ग्रामीण सड़कों का निर्माण होना था. लेकिन, मात्र 3670 किमी का ही निर्माण हो सका. 1012 किमी ग्रामीण सड़कों में से कई 2006-07 से ही लंबित हैं. आधी-अधूरी सड़कों में से कहीं पर बेस व सब-बेस का काम कर छोड़ दिया गया है.

अब चल रहीं दो योजनाएं
वर्तमान में अब ग्रामीण कार्य विभाग में दो ही योजनाएं चल रही हैं. केंद्र से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, तो राज्य में मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना के तहत गांव की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. बाकी योजनाओं में एमएनपी सहित अन्य योजनाओं को चालू वित्तीय वर्ष से बंद कर दिया गया है. इसलिए, विभाग अब इन एक हजार किमी सड़कों को किसी और फंड से बनाने का निर्णय लिया है.

बिहार पथ ग्रामीण विकास अभिकरण में अगर कोई फंड होगा, तो उसके माध्यम से आधी-अधूरी सड़कों का निर्माण किया जा सकता है.

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