पटना: ये दोनों दृश्य महज बानगी भर हैं. ऑटो किराया को लेकर हर दिन यात्रियों और ऑटोचालकों में किचकिच होती है. दानापुर से लेकर पटना सिटी तक सभी रूटों पर यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है, मगर प्रशासन आंख मूंदे बैठा है.
जांच के नाम पर सिर्फ गाड़ी के कागजात और प्रदूषण देखा जाता है. सरकारी किराया लागू कराने पर किसी का ध्यान नहीं है. बीस वर्षो की लंबी अवधि के बाद क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार ने शहर में चलनेवाले सभी ऑटो-मिनीडोर का किराया निर्धारित तो किया, मगर दो महीने बाद भी उसे लागू नहीं किया जा सका है.
यात्रियों को कोई ऐसा मंच भी नहीं दिया गया, जहां उनकी शिकायत दर्ज हो सके. प्राधिकार की चेतावनी का भी चालकों पर कोई असर नहीं दिख रहा. प्राधिकार ने किराया लागू कराने की जिम्मेवारी जिला प्रशासन पर डाल दी है, जबकि जिला प्रशासन कुछ नहीं कर रहा. यूनियन का कहना है कि नया किराया लागू होने पर लंबे रूट में किराया डेढ़ गुना बढ़ेगा.