पटना: अभियंता केपी सहाय पथ निर्माण विभाग से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने जब आयकर विभाग द्वारा सगुना मोड़ स्थित वशीकुंज अपार्टमेंट में 18 फ्लैटों की नीलामी का विज्ञापन देखा, तो वे आयकर विभाग की नीलामी प्रक्रिया में खुद को शामिल करने से नहीं रोक सके. उन्होंने इस नीलामी प्रक्रिया में भाग लिया और वशीकुंज अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 306 को 37.60 लाख रुपये की बोली लगा कर खरीद लिया.
केपी सहाय कहते हैं कि जब मैं फ्लैट की बोली लगा रहा था, तब मेरे पास बोली के लायक उतनी रकम भी नहीं थी, लेकिन आयकर विभाग ने कीमत के भुगतान के लिए बैंक लोन से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने का उन्हें भरोसा दिया था. उन्होंने बाकी की रकम बैंक से अपने पुत्र अभिषेक सहाय के नाम पर कर्ज में ली और नीलामी की कुल राशि आयकर विभाग को सौंप दी. अब नीलामी के ढाई माह बीत जाने के बाद भी उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई. अब हमें आयकर विभाग से अपना पैसा वापस चाहिए. बैंक वाले भी अब अपनी इएमआइ के भुगतान के लिए उन पर दबाव बनाये हुए हैं.
आयकर विभाग पर किया था विश्वास
आयकर विभाग की इस नीलामी में अनीता शर्मा ने सबसे महंगे थ्री बीएचके के फ्लैट लिये. उन्होंने सबसे अधिक 53 लाख रुपये की बोली लगायी थी. इसके पीछे खरीदारों ने पहला कारण आयकर विभाग की विश्वसनीयता को बताया. उन्हें तो बाद में पता चला कि त्रिपुरारि मोहन प्रसाद के अन्य भाइयों ने आयकर विभाग की इस नीलामी को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दे रखी है और वशीकुंज अपार्टमेंट के सभी फ्लैट त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के नाम पर नहीं हैं. इनमें केवल चार फ्लैट ही त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के नाम पर थे, बाकी 14 फ्लैटों में से तीन उनके भाई सुशील कुमार, चार भाई संजय कुमार तथा सात बड़े भाई केएम प्रसाद की पत्नी वीणा प्रसाद के नाम हैं. लेकिन आयकर विभाग ने सभी 18 फ्लैटों को नीलामी पर चढ़ रखा था.
धैर्य देने लगा जवाब
आयकर विभाग द्वारा बहुचर्चित चारा घोटाला के सजायाफ्ता त्रिपुरारि मोहन प्रसाद के सगुना मोड़ स्थित वशीकुंज अपार्टमेंट स्थित कुल 18 फ्लैटों की नीलामी का मामला अब पटना हाइकोर्ट पहुंच चुका है. जाहिर है कि फ्लैट के खरीदारों को नीलामी के तीन महीने बाद भी रजिस्ट्री न होने से उनका धैर्य जवाब देने लगा है और वे अब आयकर विभाग से अपने पैसे वापस करने का दबाव देने लगे हैं. फ्लैटों की खरीदारी में केपी सहाय के अलावा 14 लोग और हैं और वे भी आयकर विभाग पर अपने पैसे वापस करने का प्रेशर बना रहे हैं. वहीं मामला कोर्ट में पहुंच जाने के बाद इसमें अंतिम फैसला सामने आने में अभी समय लगेगा. इस संबंध में आयकर विभाग का कोई भी अधिकारी आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से यह कह कर इनकार कर रहा है कि चूंकि मामला अब न्यायालय में लंबित है और हम इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि नीलामी में शामिल किसी भी खरीदार का पैसा डुबेगा नहीं और हाइकोर्ट का आदेश प्राप्त होते ही या तो उनके फ्लैटों की रजिस्ट्री करा दी जायेगी या फिर सभी खरीदारों से नीलामी के बाद ली गयी रकम को आयकर विभाग वापस कर देगा. उक्त अधिकारी ने कहा कि आयकर विभाग इस मामले में एक ही गारंटी दे सकता है कि सभी खरीदारों के पैसे आयकर विभाग के पास सुरक्षित हैं.