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हिरासत में मौत, पुलिस अधीक्षक का तबादला

जमुई-पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान कल रात विचाराधीन कैदी की मौत से आक्रोशित लोगों ने जमुई जिले में आज पुलिस पर पथराव और सड़क जाम किया. राज्य सरकार ने जमुई के पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल का स्थानांतरण कर दिया है. पुलिस ने बताया कि मृतक विचाराधीन कैदी का नाम मुन्ना […]

जमुई-पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान कल रात विचाराधीन कैदी की मौत से आक्रोशित लोगों ने जमुई जिले में आज पुलिस पर पथराव और सड़क जाम किया. राज्य सरकार ने जमुई के पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल का स्थानांतरण कर दिया है.

पुलिस ने बताया कि मृतक विचाराधीन कैदी का नाम मुन्ना सिंह (40) है, जिसे कपडा व्यवसायी बैकुंठ वर्णवाल के अपहरण के मामले में गिरफ्तार किया गया था. परिजनों का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद मुन्ना सिंह की पुलिस ने बुरी तरह पिटाई की, जिसके बाद उसे गंभीर स्थिति में गत 23 जून को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस हिरासत में पिटाई से हुई मौत पर दुख जताते हुए लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की तथा मृतक के आश्रितों को मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये दिये जाने की घोषणा की.

इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री ने बैठक बुलायी, जिसमें मुख्य सचिव एके सिन्हा, पुलिस महानिदेशक अभयानंद, मुख्यमंत्री के प्रधानसचिव अंजनी कुमार सिंह और गृह विभाग के प्रधानसचिव आमिर सुबहानी ने भाग लिया.

इस घटना के बाद जमुई के पुलिस अधीक्षक दीपक वर्णवाल को हटाकर उनकी जगह जितेंद्र राणा को पदस्थ किया गया है. जमुई के थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार और गिद्धौर के थाना प्रभारी सत्यव्रत भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जा चुका है तथा उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है.

इस मामले में जमुई के पुलिस अधीक्षक के अंगरक्षक की संलिप्तता को देखते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया गया तथा अन्य दोषी पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है. मुन्ना सिंह की मौत की खबर मिलने पर आज सुबह से ही जमुई में लोगों ने जमुई-लखीसराय मुख्य मार्ग को सतायम तथा हासडीह गांव के पास सडक जाम कर दिया.

आक्रोशित लोगों द्वारा पुलिस पर किए गए पथराव में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गये तथा पुलिस द्वारा लाठीचार्ज में पांच महिलाओं को हल्की चोटें आयीं. तीनों घायल पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए जमुई सदर अस्पताल भेजा गया.

हिंसा पर उतारु कुछ महिलाओं को जब पुलिस पकडकर अपने साथ ले जाने लगी तो जिलाधिकारी शशिकान्त तिवारी के हस्तक्षेप के बाद उन महिलाओं को रास्ते में छोड दिया गया.

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