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छह दिसंबर को हर जिले में सांप्रदायिकताविरोधी मार्च निकालेगा माले

वामपंथ और सेक्यूलर ताकतों की एकता के बलबूते ही निबटा जा सकता है सांप्रदायिक ताकतों से : कुणाल संवाददाता, पटना बाबरी मसजिद विध्वंस बरसी पर छह दिसंबर को भाकपा माले हर जिले में सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकालेगा. मार्च में सभी वाम दलों के नेता, धर्म निरपेक्ष और सेक्यूलर ताकतें शामिल होंगी. उक्त जानकारी गुरुवार को […]

वामपंथ और सेक्यूलर ताकतों की एकता के बलबूते ही निबटा जा सकता है सांप्रदायिक ताकतों से : कुणाल संवाददाता, पटना बाबरी मसजिद विध्वंस बरसी पर छह दिसंबर को भाकपा माले हर जिले में सांप्रदायिकता विरोधी मार्च निकालेगा. मार्च में सभी वाम दलों के नेता, धर्म निरपेक्ष और सेक्यूलर ताकतें शामिल होंगी. उक्त जानकारी गुरुवार को भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल ने दी. उन्होंने कहा कि छह दिसंबर का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ है. वर्ष 1992 में इसी दिन सांप्रदायिक ताकतों के हाथों बाबरी मसजिद ढहाई गयी थी. विडंबना यह है कि गुजरे 22 वर्षों में यह और मजबूत हुई है. उसने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है. कांग्रेस के कुशासन, भ्रष्टाचार, कूटनीति और छद्म धर्मनिरपेक्षता के कारण सांप्रदायिक ताकतों को फलने-फूलने का अवसर मिला. ‘अच्छे दिन’ व विकास के सुंदर सपने दिखा कर ऐसी ताकतें सत्ता हथियाने में सफल हो गयी. आज शिक्षा के भगवाकरण और अवैज्ञानिक-सांप्रदायिक शिक्षा की वकालत की जा रही है. भारत की मूल आत्मा को ही बदलने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में भाजपा से लड़ने का चाहे जितना दिखावा कर ले, उसे गांव-गांव तक पहुंचाने के ऐतिहासिक अपराध से वे बच नहीं सकते. भाजपा-जदयू गंठबंधन टूटने के बाद सूबे में 200 से अधिक सांप्रदायिक उन्माद व उत्पात की घटनाएं हुई हैं.

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