संवाददाता,पटनाप्रो. सैयद हसन इतिहास के अन्वेषक थे. त्याग, तपस्या और करुणा की साक्षात प्रतिमूर्ति थे. उनका जीवन सादा और उच्च विचार वाला था. वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दीन दुखियों की सेवा में अर्पित कर देते थे. पद्मश्री प्रो. सैयद हसन अस्करी की स्मृति में कई बातों पर चर्चा हुई. बिहार राज्य अभिलेख भवन के सभाकक्ष में आयोजित व्याख्यान का उद्घाटन प्रधान सचिव बी प्रधान ने किया. बी प्रधान ने बताया कि मध्यकालीन इतिहास के अन्वेषक के रूप में वह काफी विख्यात थे. मध्यकालीन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उनके 350 शोध पत्र का प्रकाशन हो चुका है. इन्हें बिहार रत्न और पद्मश्री की उपाधि से अलंकृत किया गया था. डॉ एमए हक उप निदेशक राष्ट्रीय अभिलेखागर ने कई जानकारियां दीं. समारोह में डॉ तारा शरण सिन्हा, बिहार राज्य अभिलेखागार के भूतपूर्व निदेशक डॉ जवाहरलाल वर्मा, बीआरएववि मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति निहार नंदन प्रसाद सिंह, एसएन सिन्हा,चंद्रप्रकाश सिंह व डॉ चितरंजन प्रसाद सिन्हा मौजूद थे.
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संवाददाता,पटनाप्रो. सैयद हसन इतिहास के अन्वेषक थे. त्याग, तपस्या और करुणा की साक्षात प्रतिमूर्ति थे. उनका जीवन सादा और उच्च विचार वाला था. वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दीन दुखियों की सेवा में अर्पित कर देते थे. पद्मश्री प्रो. सैयद हसन अस्करी की स्मृति में कई बातों पर चर्चा हुई. बिहार राज्य अभिलेख […]
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