पटना : प्राइवेट मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में रहनेवाले विद्यार्थियों से खाने व रहने के एवज में प्रति वर्ष 80 हजार से एक लाख रुपये तक वसूले जाते हैं. यह पैसा एडमिशन की फीस से अलग होता है. कॉलेजों ने निजी भवनों को लेकर हॉस्टल में बदल दिया है या अपने प्रांगण में ही हॉस्टल का निर्माण करा रखा है. छात्र-छात्राओं को असुविधा होने पर बाहर रहने की इजाजत मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से लेनी पड़ती है. बुद्धा डेंटल कॉलेज व आंबेडकर डेंटल कॉलेज के छात्र आस-पड़ोस के मोहल्लों में बैचलर रहते हैं. कई बार ग्रुप में भी इन्हें रहना पड़ता है.
* दबाव में रहते हैं विद्यार्थी
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के छात्र बेहद तंग व दबाव की स्थिति में अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. कॉलेज प्रबंधन के सामने उनकी एक नहीं चलती है. अगर किसी विद्यार्थी ने ज्यादा शिकायत शुरू कर दी, तो उसे कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखाने की चेतावनी दी जाती है. पैसे खर्च कर एडमिशन लेने व महंगे खर्च के बाद भी परेशानी झेल रहे विद्यार्थियों की कोई सुननेवाला नहीं होता है. छात्राएं अधिक प्रताड़ित होती हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि भोजन की क्वालिटी तो बेहद घटिया होती है, पर हम किससे शिकायत करें. खाने की अपनी व्यवस्था रखनी पड़ती है.
* छात्र ने किया था आत्महत्या का प्रयास
हॉस्टल की तंग व्यवस्था से आजिज आकर ही दूसरे राज्यों की रहनेवाली दो छात्राओं ने जो कि आंबेडकर डेंटल कॉलेज में पढ़ती थी, ने आत्महत्या का प्रयास किया था. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दोनों का इलाज किया गया था. उस वक्त छात्रों व छात्राओं के लिए अलग-अलग निजी आवासों में हॉस्टल की व्यवस्था की गयी थी. फिलवक्त भी छात्रों के लिए यहां निजी आवासों में हॉस्टल की व्यवस्था की गयी है.