पटना: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने बिहार के मेडिकल कॉलेजों को करारा झटका दिया है. एमसीआइ ने इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में तीसरे सत्र और बेतिया मेडिकल कॉलेज में पहले सत्र में नामांकन पर रोक लगा दी है. वजह फैकल्टी का न होना बताया गया है.
आइजीआइएमएस के निदेशक ने संकाय सदस्यों व रेजिडेंट के पदों पर की गयी नियुक्ति की सूची उपलब्ध करायी थी. उन्होंने 12 जून को खुद व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर यह सब ब्योरा सौंपा था. लेकिन, इन सबको दरकिनार कर एमसीआइ ने नामांकन की अनुमति देने से मना कर दिया.
मुख्य सचिव की अंडरटेकिंग को भी कोई अहमियत नहीं दी गयी, जबकि अन्य राज्यों के कई मेडिकल कॉलेजों को इसी आधार पर अनुमति दी गयी है. जहां इन दो मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगायी गयी है, वहीं वर्धमान मेडिकल कॉलेज, पावापुरी में 100 सीटों पर नामांकन की अनुमति दे दी गयी है. एमसीआइ की बुधवार को हुई बैठक में पिं्रसिपल डॉ ज्योति कृष्ण दास ने भाग लिया. अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार ने पावापुरी कॉलेज में 30 डॉक्टरों व 93 पारा मेडिकल कर्मियों की प्रतिनियुक्ति कर दी.
आइजीआइएमएस में 12 व 13 मार्च को एमसीआइ का निरीक्षण हुआ था. टीम ने चिकित्सकों से मिल कर उनकी योग्यता व बायोडाटा को देखा. साथ ही लाइब्रेरी की पुस्तकों, शिक्षक, स्टाफ की संख्या का पूरा ब्योरा लिया था. फिर 16 मई को एमसीआइ ने संस्थान से कमियों का ब्योरा मांगा था, जिसके बाद संस्थान के निदेशक ने 12 जून को एमसीआइ के समक्ष उपस्थित हो कर संस्थान की स्थित से अवगत कराया था.