पटना: पटना हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में तैनात डीआइजी अजय कुमार वर्मा को हटा कर कहीं अन्यत्र स्थानांतरित करे.
हाइकोर्ट ने इनकी सेवा गृह विभाग को वापस करने का आदेश दिया है. बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर मनोज कुमार सिंह ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर अजय कुमार वर्मा को बैंक का मुख्य निगरानी पदाधिकारी बनाये जाने का विरोध किया था. न्यायाधीश ज्योति शरण ने गुरुवार को मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल मनोज कुमार सिंह का कहना था कि यह एक स्वायत्त बैंक है और इसमें राज्य सरकार का किसी तरह का सीधा हस्तक्षेप नहीं है. ऐसे में इस स्तर के पुलिस अधिकारी को यहां तैनात करने का कोई औचित्य नहीं है. अजय कुमार वर्मा भारतीय पुलिस सेवा के डीआइजी स्तर के अधिकारी हैं और उन्हें राज्य सरकार ने बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड में बतौर मुख्य निगरानी पदाधिकारी के तौर पर तैनात कर रखा है.
प्रखंड शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमिता की जांच निगरानी को : पटना हाइकोर्ट ने रोहतास जिला के राजपुर प्रखंड में हुई 50 प्रखंड शिक्षकों की नियुक्ति में बड़े पैमाने पर हुए भाई-भतीजावाद को लेकर कड़ा रुख अपनाया है. जितेंद्र कुमार की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एके त्रिपाठी के एकल खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सभी 50 प्रखंड शिक्षकों की नियुक्ति की जांच निगरानी विभाग से हो.
गांधी मैदान पुलिस कोर्ट में नहीं पेश कर रही जब्त जाली नोट : वर्ष 2009 में गांधी मैदान थाना क्षेत्र में लगभग डेढ़ लाख के जाली नोटों के साथ तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार कर मामला दर्ज किया था. उक्त मामले का विचारण वर्तमान में पटना के एडीजे-आठ कौशल किशोर सिंह की अदालत में चल रहा है. उक्त मामले में अभियोजन द्वारा कई गवाह भी अदालत में पेश किये गये हैं, लेकिन नोटों को पुलिस ने अब तक प्रस्तुत नहीं किया है. अभियोजन ने गांधी मैदान के थाना प्रभारी को पत्र लिख कर कहा है कि उक्त नोटों को कोर्ट द्वारा तय तारीख एक दिसंबर, 2014 को पेश नहीं किया गया, तो उक्त मामले को अभियोजन साबित करने में विफल हो जायेगा.