पटना: आइजीआइएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में खुलनेवाले बिहार के दूसरे आइ बैंक का उद्घाटन 18 अक्तूबर को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी करेंगे. इसे राज्य के सभी जिला अस्पतालों से जोड़ा जायेगा.
उद्घाटन के अगले दिन इस संबंध में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा. आइ बैंक खुलने के पहले ही स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सहित 40 से अधिक चिकित्सकों ने नेत्रदान कर दिया है. दूसरी ओर, पीएमसीएच में 1984 में खुला आइ बैंक आज तक शुरू नहीं हो पाया है. आइजीआइएमएस में आइ बैंक खोलने की योजना वर्ष 2009 में ही बनायी गयी थी.
एक कार्निया से तीन को लाभ : आइ बैंक में आनेवाले एक कार्निया का फायदा कम-से-कम तीन नेत्रहीनों को मिल पाये, इसको लेकर आइ बैंक में कॉम्पोनेंट सजर्री की शुरुआत होगी. इसमें एक कॉर्निया को एडवांस सजर्री के माध्यम से तीन हिस्सों में बांटा जायेगा. यह अत्याधुनिक सजर्री छह माह के भीतर आइजीआइएमएस आइ बैंक में भी शुरू हो जायेगी.
नेत्रदान की प्रक्रिया : नेत्रदान के इच्छुक व्यक्ति को डोनेशन सेंटर में जाकर फॉर्म भरना होगा. इसमें परिवार के दो सदस्यों के भी हस्ताक्षर होने चाहिए. अगर उस व्यक्ति ने नेत्रदान के लिए किसी और सेंटर में भी रजिस्ट्रेशन कराया गया हो, तो जहां मौत होती है, उसके करीब के आइ बैंक में नेत्रदान कर सकते हैं.
छह घंटे में निकालना होगा : नेत्रदाता की मौत के तुरंत बाद इसकी जानकारी आइ बैंक को देनी होगी. मेडिकल साइंस के मुताबिक व्यक्ति की मौत के छह घंटे के भीतर कॉर्निया निकालना आवश्यक है. इसके बाद उस नेत्र को सात दिनों के भीतर किसी भी जरूरतमंद को लगा दिया जायेगा. बिहार के आइ बैंक में एमके मीडिया में रखने की सुविधा तैयार की गयी है, जहां कॉर्निया को सात दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. फिलहाल दिल्ली एम्स में कॉर्निया को एक माह तक रखने की व्यवस्था बनायी गयी है.
ये नहीं कर सकते नेत्रदान
जिनका नेत्र किसी कारण से इन्फेक्टेड हो.
न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित हो.
एचआइवी, हेपेटाइटिस जैसी संक्रमित बीमारी से पीड़ित हो.