पटना : कालीकरण (टॉप ब्लैक) के चक्कर में राज्य में 20 हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के निर्माण का काम फंस गया है. केंद्र सरकार राज्य से पहले स्वीकृत सड़कों का हिसाब मांग रही है. बिना उपयोगिता प्रमाणपत्र लिये केंद्र आगे की राशि देने को तैयार नहीं है. इधर, राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में बननेवाली सड़कों का निर्माण कई चरणों में फंसा हुआ है. केंद्र से समय पर राशि नहीं मिलने के कारण सड़कों के निर्माण में विलंब हुआ है.
केंद्र सरकार ने 10 हजार करोड़ जारी नहीं किया है. इस कारण सड़कों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. ऐसे में उपयोगिता प्रमाणपत्र कैसे दिया जाये. ग्रामीण विकास मंत्रलय प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत होटल मौर्या में सोमवार से पूर्वी भारत के चार राज्य बिहार, झारखंड,पश्चिम बंगाल व ओड़िशा की समीक्षा कर रहा है. दो दिनों तक चलनेवाली समीक्षा बैठक में ग्रामीण कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य की 20 हजार किलोमीटर सड़कों के निर्माण के लिए केंद्र समय पर राशि उपलब्ध कराये. उन्होंने कहा कि समय पर राशि नहीं मिलने के कारण सड़कों के निर्माण का कार्य अधूरा है. केंद्र सरकार सड़कों के पूर्ण निर्माण की रिपोर्ट मांग रही है, जिसमें कालीकरण का काम भी शामिल है. जो राशि केंद्र से मिली थी, वह खर्च हो चुकी है. बरसात व बाढ़ के कारण काम में रुकावट आयी है.
अक्तूबर से काम शुरू होगा, तो इस दिशा में काम तेजी से बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र ने फेज दो के पांच हजार किलोमीटर सड़क निर्माण की डीपीआर की मांग की है. राज्य सरकार इसका डीपीआर तैयार कर केंद्र को सौंप देगी. केंद्र सरकार डीपीआर की स्वीकृति प्रदान करे और पूर्व की योजनाओं की राशि अविलंब जारी करे.
राज्य फेज दो का डीपीआर भेजे : बैठक की अध्यक्षता कर रहे ग्रामीण विकास मंत्रलय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव राजेश भूषण ने बताया कि देश के कई राज्य जिनमें उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ने पीएमजीएसवाइ के तहत फेज दो पर काम शुरू कर दिया है. बिहार को भी फेज दो का कार्य शुरू कर देना चाहिए. राज्य सरकार को पांच हजार किमी का डीपीआर तैयार कर भेजना चाहिए.
बैठक में बताया गया कि देश में पीएमजीएसवाइ के तहत एक करोड़ 78 लाख की बसावटों को जोड़ने की योजना तैयार की गयी थी. इसमें एक करोड़ 44 लाख बसावटों के लिए राशि जारी की गयी है. इसके विरुद्ध अभी तक पूरे देश में एक करोड़ दो लाख बसावटों को जोड़ दिया गया है. बैठक में केंद्र सरकार के ग्रामीण संपर्कता निदेशक वाइएस द्विवेदी, राष्ट्रीय ग्रामीण पथ विकास एजेंसी के निदेशक एनसी सोलंकी, डॉ आइके पटेरिया, चमनलाल, एन. वासवराजा, संयुक्त निदेशक सुनील कुकरेजा, सहायक निदेशक राकेश कुमार व झारखंड के मुख्य अभियंता अशोक प्रसाद साह समेत चारों राज्यों के 14 पदाधिकारियों ने भाग लिया.