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अब सभी बैंकों से डेयरी के लिए लोन

पटना : सरकार ने जिन आठ बैंकों पर भरोसा कर उन्हें डेयरी विकास, मत्स्यपालन और पशु संसाधन की अन्य योजनाओं से जोड़ा था, वे उम्मीद पर खरा नहीं उतरे. योजना की गति काफी धीमी है और इस साल अब तक सिर्फ चार फीसदी उपलब्धि हासिल हो पायी है. आजिज आकर वित्त विभाग ने चुनिंदा आठ […]

पटना : सरकार ने जिन आठ बैंकों पर भरोसा कर उन्हें डेयरी विकास, मत्स्यपालन और पशु संसाधन की अन्य योजनाओं से जोड़ा था, वे उम्मीद पर खरा नहीं उतरे. योजना की गति काफी धीमी है और इस साल अब तक सिर्फ चार फीसदी उपलब्धि हासिल हो पायी है. आजिज आकर वित्त विभाग ने चुनिंदा आठ बैंकों में योजना की राशि नहीं रखने का निर्णय किया है. यानी अब किसी भी बैंक में इस योजना के अंतर्गत ऋण लिये जा सकते हैं.
मुरगी नहीं, कार लोन में है रुचि
व्यावसायिक बैंक मछली-मुरगीपालन की योजनाओं के अलावा केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड), शिक्षा गृह जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं में भी ऋण देने में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. कार और अन्य लग्जरी सामान का लोन देने में बैंक ज्यादा उत्साह दिखाते हैं. वर्ष 2014 के लिए सभी बैंकों को एजुकेशन लोन (शिक्षा ऋण) देने के लिए 50 हजार छात्रों का लक्ष्य दिया गया है, लेकिन अब तक महज छह हजार 900 को ही मिला है.
इसी तरह हाउस लोन में 24 हजार लोगों को देने का टारगेट दिया गया है, अब तक चार हजार 240 को ही ऋण मिले हैं. केसीसी 15 लाख किसानों को बनाने का टारगेट है, अभी तक सिर्फ एक लाख 58 हजार के ही बन पाए हैं. इसके अलावा प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत भी ऋण देने में बैंक वाले लोगों को काफी दौड़ाते हैं. वित्त विभाग के पास इसकी सबसे ज्यादा शिकायतें आती हैं.

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