पश्चिम बंगाल के सारधा चिट फंड घोटाले में सीबीआइ ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. इधर, बिहार में नॉन बैंकिंग कंपनियों (एनबीएफसी)की ठगी रुकी नहीं है. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने इस वर्ष अब तक 78 नॉन बैंकिंग कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है.
।। कौशिक रंजन ।।
पटना : पिछले साल पश्चिम बंगाल में करीब 10 हजार करोड़ रुपये के सारधा चिट फंड घोटाले का मामला उजागर होने के बाद नॉन बैंकिंग कंपनियों (एनबीसी) की ठगी को लेकर काफी हो-हल्ला मचा था. बिहार में भी कई कंपनियों के दफ्तर सील किये गये. लेकिन, ठगी का सिलसिला रुका नहीं है. एनबीसी घोटाले के 78 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें जनता की कमाई के करीब 300 करोड़ रुपये लेकर ये कंपनियां चंपत हो गयीं.
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है. अब तक जितनी कंपनियां भाग चुकी हैं, उनमें अधिसंख्य के मुख्यालय कोलकाता में ही हैं. ऐसे चिट फंड कंपनियों की सबसे ज्यादा संख्या (17) पटना में है. इसी तरह कटिहार में आठ,सुपौल में नौ, छपरा में आठ, भोजपुर में पांच, बांका में आठ और किशनगंज में दो हैं.
* ठगी के बाद जागते हैं लोग
चिट फंड कंपनियां अपना जाल ज्यादातर छोटे शहरों या ग्रामीण अंचलों में फैलाती हैं. पहले एक-दो बार लोगों को छोटे रकम में ज्यादा मुनाफा देकर बड़ा निवेश करने के लिए चारा डालती हैं. ये अपना ताना-बाना इतनी शानदार तरीके से बुनती हैं कि सामान्य लोग आसानी से फंस जाते हैं. थोड़े दिनों बाद पैसा जमा होने पर वे अपना सब कुछ समेट कर फरार हो जाती हैं. इनके भागने के बाद ही लोगों को हकीकत का पता चलता है. कई बार इनके एजेंट या अन्य छोटे कर्मचारी लोगों के हत्थे चढ़ते हैं.
* वित्त विभाग में दे रहे आरटीआइ
नॉन बैंकिंग कंपनियों की ठगी के शिकार लोग इन दिनों इन दिनों वित्त विभाग में आरटीआइ (सूचना का अधिकार) के तहत आवेदन जमा कर अपने रकम की वापसी की गुहार लगा रहे हैं. अब तक 20 से ज्यादा आरटीआइ आ चुके हैं. विभाग को समझ में नहीं आ रहा कि इनका जवाब क्या दें. आवेदन देने वालों में बांका, जमुई, कटिहार, भागलपुर, अररिया जिले के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है.
* देश भर में 234 को अनुमति
आरबीआइ ने देश भर में 234 नॉन बैंकिंग कंपनियों को जमाकर्ताओं से पैसा लेने की इजाजत दी है. उनमें से सिर्फ दो कंपनियों – गृहस्थ फाइनांस लिमिटेड और ओपेल फाइनांस लिमिटेड के रीजनल दफ्तर पटना में हैं. बाकी सभी के रजिस्ट्रेशन बिहार के बाहर के शहरों में हुए हैं.
* बिहार-झारखंड में 42 कंपनियां
बिहार-झारखंड में 42 नॉन बैंकिंग कंपनियां आधिकारिक तौर पर कारोबार कर रही हैं. लेकिन, आरबीआइ को अंदेशा है कि करीब 200 कंपनियां गायब हो चुकी हैं. जुलाई में आरबीआइ ने बैठक की थी. इसमें पाया गया कि बड़ी संख्या में कंपनिया वार्षिक डाटा बेस नहीं दे रही हैं.
* 18 कंपनियों पर इओयू करेगी कार्रवाई
राज्य में 18 एनबीसी ऐसी भी हैं, जो लापता हो गयी हैं. यानी इन कंपनियों ने आरबीआइ में अपना निर्धारित अंश जमा नहीं कर रही हैं. इन कंपनियों ने किसी तरह का वित्तीय हिसाब-किताब न तो आरबीआइ को दे रही हैं और न ही वित्त विभाग को. ऐसे में इन कंपनियों का कोई लेखा-जोखा सरकार के पास भी नहीं है. हालांकि, इन कंपनियों के खिलाफ किसी ने कोई एफआइआर दर्ज नहीं करवायी है. इस वजह से इओयू या वित्त विभाग किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. अब आरबीआइ ने ऐसी 18 लापता कंपनियों की सूची तैयार करके इओयू को कार्रवाई करने के लिए भेजी है.
* प्रभात पहल पर हेल्पलाइन
प्रभात खबर ने जब आइजी (इओयू) को पूरे मामले की गंभीरता के बारे में विस्तार से बताया, तो उन्होंने मध्यम वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए तुरंत एक खास हेल्पलाइन गठन करने का निर्देश जारी किया. यह हेल्पलाइन 24 घंटे खुली रहेगी. इस पर आर्थिक अनियमितता से जुड़े किसी तरह के मामले के अलावा एनबीसी या चिट फंड कंपनियों की शिकायत की जा सकती है. इस पर इओयू तुरंत कार्रवाई करेगी. इस तरह की पहल पहली बार की जा रही है. फोन से प्राप्त शिकायतों को दर्ज करने के लिए कुछ अधिकारियों को खासतौर से तैनात किया गया है.
फोन न.- 0612-2215522, मोबाइल- 9431017746
* प्रभात अलर्ट आप रखें ध्यान
पैसा जमा करने से पहले जांच लें कि वह एनबीएफसी आरबीआइ में रजिस्टर्ड है और उसे जनता से डिपोजिट लेने की मंजूरी है या नहीं. आप अपनी शिकायत सेबी के इस टॉल फ्री नंबर पर भी दर्ज कर सकते हैं – 18006227575
वित्तीय स्वर्ग वाली कंपनियों पर नजर
आम लोगों को ह्यवित्तीय स्वर्गह्ण दिखानेवाली इस तरह की तमाम एनबीसी या चिट फंड कंपनियों पर इओयू खासतौर से नजर रहेगी. सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में खासतौर से निर्देश जारी कर दिये गये हैं. सभी एसपी को क्राइम मीटिंग के बाद अलग से वित्तीय अनियमितता वाले मामलों की समीक्षा करने के लिए कहा गया है. जिन जिलों में ऐसे मामले सामने आते हैं, वहां के एसपी को समीक्षा के बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट इओयू को भी भेजनी पड़ेगी.
जीतेंद्र सिंह गंगवार, आइजी, इओयू