पटना: वीवीपैट (वोटर वेरीफाइ पेपर ऑडिट ट्रेल) इवीएम के जरिये मतदान की विशेष व्यवस्था महंगी साबित हुई है. पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में 1818 बूथ हैं. इस पर 1.46 करोड़ रुपये खर्च हुए.
चुनाव आयोग को पटना साहिब संसदीय क्षेत्र के एक बूथ पर सिर्फ मशीन की बैटरी व थर्मल पेपर के लिए 8030 रुपये से अधिक खर्च करने पड़े जबकि पूर्व में सामान्य इवीएम से चुनाव कराने में एक बूथ पर लगभग आठ से दस हजार रुपये (सभी खर्च समेत) खर्च हुए थे. लोकसभा चुनाव में राज्य के एकमात्र पटना साहिब सीट पर विशेष इवीएम यानी वीवीपैट से मतदान की व्यवस्था की गयी थी. इस इवीएम में परचा दिखने की व्यवस्था है. यदि सभी चालीस सीट पर ऐसी व्यवस्था हुई,तो लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
बीइएल ने भेजा बिल : जानकारी निर्वाचन विभाग को तब मिली, जब इवीएम की निर्माता कंपनी बीइएल ने निर्वाचन विभाग को लगभग 1.46 करोड़ का बिल भेजा. बिल में एक विशेष प्रकार की अल्केलाइन बैटरी के लिए एक करोड़ 17 लाख रुपये और थर्मल पेपर के लिए 29 लाख रुपये भुगतान का जिक्र है.
1818 बूथों के लिए 2275 वीवीपैट : इवीएम से चुनाव कराने के लिए पटना साहिब के 1818 बूथों के लिए 2275 वीवीपैट (वोटर वेरीफाइ पेपर ऑडिट ट्रेल) इवीएम उपलब्ध कराये गये थे. 2275 वीवीपैट के लिए 5005 अल्केलाइन बैटरी की आवश्यकता पूरा की गयी. इतने ही वीवीपैट के लिए 5005 थर्मल पेपर भी उपलब्ध कराये गये. चुनाव चिह्न् पर मुहर का प्रिंट देखने के लिए थर्मल पेपर उपलब्ध कराये गये.
भुगतान के लिए आयोग से मांगी अनुमति : निर्वाचन विभाग ने बिल की बड़ी राशि को देखते हुए भुगतान के लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी. फिलहाल चुनाव आयोग ने अल्केलाइन बैटरी और थर्मल पेपर की कीमत के निर्धारण के बाद ही भुगतान का निर्देश दिया है. निर्वाचन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यदि इस विधि से चुनाव हुआ,तो राज्य की 40 लोकसभा सीटों पर मतदान के लिए चुनाव आयोग को लगभग 58.40 करोड़ रुपये अधिक खर्च करने होंगे.
वीवीपैट इवीएम
इवीएम से मतदान में मतदाताओं के मनचाहा चुनाव चिह्न् पर मुहर सात सेकेंड तक दिखता है. इससे मतदाता आश्वस्त होते हैं कि उन्होंने जिस प्रत्याशी को मतदान किया. मत उसे ही मिला है. मतदाता को सात सेकेंड तक इवीएम से निकलते स्लीप को देखना होगा.