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समाज की मुख्यधारा से जुड़ें किन्नर

पटना: समावेशी समाज में सबों का अधिकार समान है. मानव विकास के तहत अब तीसरे लिंग को भी समान अधिकार दिया जाना है, जिससे उन्हें कानूनी, सामाजिक व आर्थिक अधिकार मिल सके. इसके लिए विभाग द्वारा उन्हें पहचान दिलाने की पहल की जा रही है. यह कहना है समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत […]

पटना: समावेशी समाज में सबों का अधिकार समान है. मानव विकास के तहत अब तीसरे लिंग को भी समान अधिकार दिया जाना है, जिससे उन्हें कानूनी, सामाजिक व आर्थिक अधिकार मिल सके. इसके लिए विभाग द्वारा उन्हें पहचान दिलाने की पहल की जा रही है. यह कहना है समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा का. वे सोमवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में महिला विकास निगम की ओर से किन्नरों से संबंधित विभिन्न योजनाओं के निर्माण एवं कार्यान्वयन के संदर्भ में आयोजित राज्य स्तरीय परामर्शी कार्यशाला में बोल रहे थे.

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गयी है. इसके अनुसार किन्नरों क ो समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है. उन्हें मानवाधिकार के तहत सारे अधिकार मिल सके. इसके लिए किन्नरों का सर्वेक्षण कराया जाना है. इससे सही-सही जानकारी के बाद विभिन्न योजनाओं के द्वारा उनकी मदद की जा सकेगी. कमजोर वर्ग के आइजी अरविंद कुमार ने बताया कि किन्नरों को विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षित कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया जाना है. इसके लिए उन्हें नृत्य संगीत के क्षेत्र में पारंगत ट्रेनिंग देकर उन्हें कला से जोड़ा जाये.

बनेगी नौ सदस्यीय कमेटी : समाज कल्याण निदेशालय के निदेशक इमामुद्दीन अहमद ने बताया कि सरकार अब किन्नरों को तीसरे लिंग के रूप में समान अधिकार दिलाने के लिए प्रयासरत है. इसके लिए अलग से विभागीय स्तर पर नौ सदस्यीय टीम बनायी जा रही है. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य व अन्य विभागों के पदाधिकारियों की टीम होगी. साथ ही पूरे बिहार के किन्नर रहेंगे. इनके द्वारा किन्नरों के विकास संबंधी प्रस्ताव तैयार कर काम किये जायेंगे. बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के ओम प्रकाश ने बताया कि किन्नरों को कानूनी अधिकार के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक अधिकार दिये जायें. इसके लिए सभी तरह के आवेदनों में अब स्त्री, पुरुष के साथ ही तीसरे लिंग का कॉलम बनाया जाये.

मौके पर सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव राजेंद्र राम, शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक पीएन मिश्र, कला संस्कृति विभाग के अपर सचिव एके मल्लिक व महिला विकास निगम की एमडी समेत अन्य उपस्थित रहे.

अब तक सरकारी आंकड़ा नहीं
स्वयंसेवी संस्था पहचान की नेशनल मैनेजर अबीना अहेज ने कहा किन्नरों का अब तक कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है. इससे उनसे संबंधित योजनाएं बनाने में कई तरह की समस्याएं सामने आ सकती हैं. इसके लिए अलग-अलग राज्यों द्वारा सर्वे करा कर सही डाटा उपलब्ध कराना होगा. सहोदरी फाउंडेशन द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पूरे देश में कि न्नरों की आबादी 4.9 लाख है. इनमें 0 से 6 वर्ष के बच्चों की कुल संख्या 55 हजार है. हालांकि ये डाटा सरकारी स्तर पर नहीं हैं.

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