पटना: जातिवाद देश के लिए भ्रष्टाचार से भी बड़ी बीमारी है. जातिवाद के खात्मे से ही सप्तक्रांति आयेगी. ये बातें मंगलवार को बंधुआ मुक्ति आंदोलन के नेता स्वामी अग्निवेश ने कहीं.
वह अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सामाजिक सप्तक्रांति’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पटना की ही धरती से 200 वर्ष पहले गुरु गोविंद सिंह ने सामाजिक क्रांति की थी. जाति-संप्रदायवाद से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने लोगों को अमृत चखाया था. मेरी इच्छा है कि उसी पटना से जातिवाद मुक्ति का अभियान चले. उन्होंने कहा कि अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा मिले,तो जातिवाद से देश को मुक्ति मिल सकती है.
सीएम ने भी दी सहमति : मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाहों को बढ़ावा देने पर सहमति जतायी है. विवाह करनेवालों को 50 हजार रुपये अनुदान देने तक की बात कही है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार से वह अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाली जोड़ियों को पांच लाख रुपये का सरकारी अनुदान देने और सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने की भी मांग करेंगे.
अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह की परंपरा शुरू हुई, तो सामाजिक क्रांति आ सकती है.
सप्त क्रांति के लिए दिये सुझाव : सप्त क्रांति के लिए कई सुझाव भी उन्होंने दिये. उन्होंने कन्या भ्रूणहत्या समाप्त करने,दहेज प्रथा पर रोक, धार्मिक अंध विश्वास समाप्त करने, पशु-पक्षी हिंसा पर रोक, नशीली दवाओं के सेवन पर रोक तथा उत्पीड़न बंद करने के सुझाव दिये. उन्होंने भ्रूणहत्या रोकने के लिए युवकों से परिवार की महिलाओं का स्टिंग ऑपरेशन तथा दहेज लेने वालों से शादी नहीं करने का संकल्प लेने की भी अपील की. संगोष्ठी में संस्थान के संयोजक बीएन प्रसाद और कुलसचिव नील रतन ने भी अपने विचार रखे.
जाति-संप्रदाय पर चल रही राजनीति
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि ईश्वर हमें जन्म देता है, किंतु जाति नहीं तय करता. जाति-संप्रदाय तो हम लोग तय करते हैं. आज देश की राजनीति भी जाति-संप्रदाय पर चल रही है. बिहार में एक बार फिर मंडल-कमंडल की चर्चा हो रही है. सांप्रदायिकता और जातिवाद मुट्ठी भर चालाक लोगों की उपज है. उनकी संस्था 21 सितंबर को हर शहर में अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाली जोड़ियों को सम्मानित करेगी.
देश में गरीबों का लोकतंत्र कैसा हो, सप्त क्रांति का संकल्प कैसा हो, विश्व पूंजी के दबाव की विसंगतियां कैसे दूर हो, किसान आत्महत्या नहीं करे और कपड़ा बुनने वाला न ठिठुरे. इस पर आज हर आदमी चिंतन कर रहा है. आखिर भारत में आम आदमी का लोकतंत्र कब स्थापित होगा.
डीएम दिवाकर, निदेशक, एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान