पटना: वरिष्ठ पत्रकार प्रो रामशरण जोशी ने कहा कि चुनाव का वर्ष आ रहा है. इसमें राष्ट्र के सभी लोग धर्मनिरपेक्ष नागरिक की भूमिका निभाएं, तभी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण हो सकेगा. भारत ही नहीं, पूरे विश्व में धर्म का दोहन हो रहा है. इसे नये आयाम देने की जरूरत है. राजनीतिक दल धर्म का दोहन करते हैं. राजसत्ता का दुरुपयोग करते हैं. वे वोटर को कमोडिटी समझते हैं. इससे बचने की जरूरत है. वह रविवार को द टेंपल ऑफ अंडरस्टैंडिंग द्वारा ‘सांप्रदायिक सद्भाव के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
धार्मिक आतंकवाद बढ़ा
उन्होंने कहा कि पिछले 20 से 25 वर्षो में धार्मिक आतंकवाद बढ़ा है और धर्म के नाम पर कई नये आयाम भी जुड़ गये हैं. इसने बड़े विरोध को जन्म दिया है, इससे सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक ताने-बाने को हिला दिया है. ऐसा अफगानिस्तान, दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका आदि देशों में देखने को मिला है. वर्तमान में धर्म की संवेदना को खत्म कर दिया गया है. युवा शक्ति को शांति और रोजगार चाहिए, लेकिन इस युवा शक्ति का उपयोग फिदायीन के रूप में किया जा रहा है. यह त्रिकोण में फंसा है.
अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक और राज्य के बीच. पिछले कुछ वर्षो में अपने देश में ही नहीं, बल्कि अफगान, पाकिस्तान, अफ्रीका, इरान आदि देशों में देखने को मिला है. अहम सवाल है कि सांप्रदायिक दंगों में गरीब लोग ही मारे जाते है. भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र तो बना दिया गया, लेकिन जमीन तैयार नहीं की गयी. जब तक भारतीय नागरिक को धर्मनिरपेक्ष नागरिक बनाने की दिशा में कदम नहीं उठाया जायेगा, तब तक समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है.
धर्मो के बीच भाईचारा क्यों नहीं
श्री जोशी ने कहा कि कुरान, गीता, बाइबिल सभी में कहा गया है सभी धर्म बराबर हैं. किसी भी धर्म में इनसान के खिलाफ नफरत पैदा करने की बात नहीं कही गयी है. इन तमाम चीजों के बावजूद धर्मो के बीच भाईचारा क्यों नहीं है. सेमिनार में मानवाधिकार आयोग के सदस्य राजेंद्र प्रसाद को विचार व्यक्त करने का मौका नहीं देने पर वह नाराज हो गये. इस पर संस्था के सचिव एमटी खान ने गलती महसूस करते हुए क्षमा मांगी. सेमिनार का संचालन एमटी खान कर रहे थे. मौके पर एहतेशाम कतोनवी भी मौजूद थे.