1990 के बाद हाशिये पर चल रहे लोगों की सत्ता में भागीदारी बढ़ी : प्रो जेफरी
पटना : आगामी विधानसभा चुनाव में अत्यंत पिछड़ी जातियों व महादलितों का वोट बिहार का राजनीतिक भविष्य तय करेगा.
ये बातें शुक्रवार को यूनियन कॉलेज, न्यूयार्क के प्रो जेफरी विट् शो ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में ‘बिहार की राजनीति एवं विकास’ पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सामाजिक न्याय से जुड़े वर्गो का वोट शिफ्ट होने और नया सामाजिक धुव्रीकरण होने से बिहार में भाजपा की स्थिति अच्छी बन पायी. खासकर अतिपिछड़ी जातियों के वोटरों ने इस नये ध्रवीकरण में बड़ा रोल निभाया. 10 विधानसभा क्षेत्रों के लिए होनेवाले उपचुनाव और अगले वर्ष होनेवाले विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़ी जातियों व महादलित वर्ग के वोटर तय करेंगे कि बिहार का राजा कौन होगा.
उन्होंने कहा कि 1990 के पहले तक यहां की राजनीति में ऊंची जातियों का बोलबाला था. पॉलिसी भी उन्हीं के लिए तैयार होती थीं. यही नहीं, संसाधनों पर भी उन्हीं का कब्जा था. 1990 के बाद इस स्थिति में काफी बदलाव आये. हाशिये पर चल रहे लोगों का मनोबल बढ़ा. सत्ता में उनकी भागीदारी भी बढ़ी.
लालू ने इतिहास लिखा: जदयू के विधान पार्षद डॉ रामबचन राय ने कहा कि जिनका कोई इतिहास नहीं था, उसका इतिहास लालू प्रसाद ने लिखा. उन्होंने सामाजिक जागरण का काम किया, लेकिन विकास का काम नहीं किया. सामाजिक जागरूकता के बाद नीतीश कुमार सूबे के विकास से जुड़े. राजद विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि अमेरिका और भारतीय राजनीति की डेमोक्रेसी में अंतर है.
संगोष्ठी को एएन सिन्हा संस्थान के निदेशक डॉ डीएम दिवाकर ने भी संबोधित किया. जेफरी विट् शो की किताब ‘डेमोक्रेसी अंगेस्ट डेवलपमेंट’ का विमोचन भी हुआ. संगोष्ठी में जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक श्रीकांत, कथाकार शेखर, पूर्व डीजीपी डीएन गौतम, सामाजिक कार्यकर्ता मदन, कंचन और शिक्षाविद् गालिब खान मौजूद थे.
जंगलराज के आरोप के बाद भी लालू तीन चुनाव जीते
प्रो जेफरी ने कहा कि बिहार में काम करने के दौरान उन्हें कई रोचक जानकारियां मिलीं. 1990 के बाद जंगलराज का आरोप लगने के बावजूद लालू प्रसाद चुनावों में लगातार तीन बार विजयी हुए. ऊपरी तौर पर तो इस दौरान बिहार में सिस्टम ध्वस्त हुआ, किंतु जमीनी स्तर पर पिछड़ों व वंचितों का सशक्तीकरण हुआ.
लालू राज में जहां ब्यूरोक्रेसी कमजोर हुई, वहीं निचले स्तर पर विकास अवरुद्ध हो गया. सच तो यह है कि इन्हीं कारणों ने नीतीश कुमार को सत्ता तक पहुंचाने का रास्ता खोल दिया.