महागठबंधन के लिए अग्निपरीक्षा, राजद में खुशी, कांग्रेस को एकबार फिर बिहार ने नकारा

उपचुनाव में जीत से राजद में खुशी, छूटे पटाखे पटना : बिहार में हुए उपचुनाव में अपनी असरदार जीत पर राष्ट्रीय जनता दल का लोकसभा चुनाव में खोया आत्म विश्वास लौटता दिखा. जीत की घोषणा के बाद अच्छी-खासी संख्या में राजद कार्यकर्ता पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे. आपस में गुलाल लगाया और मिठाई बांटी और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 25, 2019 7:55 AM
उपचुनाव में जीत से राजद में खुशी, छूटे पटाखे
पटना : बिहार में हुए उपचुनाव में अपनी असरदार जीत पर राष्ट्रीय जनता दल का लोकसभा चुनाव में खोया आत्म विश्वास लौटता दिखा. जीत की घोषणा के बाद अच्छी-खासी संख्या में राजद कार्यकर्ता पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे. आपस में गुलाल लगाया और मिठाई बांटी और खिलायी. दूसरी तरफ, नाथनगर में राजद उम्मीदवार राबिया खातून को कथित तौर पर सुनियोजित तौर पर हराये जाने पर कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी दिखी. हालांकि, पार्टी के अधिकतर बड़े नेता देर शाम तक पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे थे. वे सभी शहर के बाहर थे.
पार्टी के वरिष्ठ नेता सह पूर्व सांसद जगदानंद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष डाॅ रामचंद्र पूर्वे, उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, डाॅ तनवीर हसन, प्रधान महासचिव आलोक कुमार मेहता, प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन और पार्टी के राज्य निर्वाचन सह पदाधिकारी मदन शर्मा, देवमुनी सिंह यादव, निराला यादव, डाॅ प्रेम कुमार गुप्ता, संजय यादव व चंदेश्वर प्रसाद सिंह आिद ने परिणाम पर प्रसन्नता व्यक्त की.
तेजस्वी ने मतदाताओं को दिया धन्यवाद
राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने उपचुनाव में धमाकेदार जीत के लिए मतदाताओं को मालिक बताते हुए उन्हें धन्यवाद दिया. उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैंने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस चुनाव में जन सरोकार के मुद्दों पर वोट मांगे थे. उसी पर वोट देने का आग्रह भी किया था. मुझे खुशी है कि बिहार के मतदाताओं ने जमीनी मुद्दों को तवज़्ज़ो देते हुए अपना निर्णय दिया है.
राजनीति आसमानी मसलों से धरती के मुद्दों पर आ रही है, इसका स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि उपचुनाव में बिहार की न्याय प्रिय जनता ने 15 वर्ष के घोर अवसरवाद, भ्रष्टाचार, कुशासन और अराजकता के परिचायक एनडीए गठबंधन को करारा सबक सिखाया है.
अपने बयान में उन्होंने कहा कि उपचुनाव ने साबित कर दिया कि बिहार को 2020 में रूढ़िवादी नहीं, बल्कि नये ज़माने की आकांक्षाओं और सपनों के साथ कदमताल कर प्रगतिशील, विकासशील एवं नया बिहार बनाने वाला नया नेतृत्व चाहिए. उन्होंने कहा कि 2020 के चुनावों में जाति-धर्म से ऊपर उठ कर बिहार के युवाओं, किसानों और गरीबों की हितकारी सरकार बनेगी.
महागठबंधन के लिए भी अग्निपरीक्षा
महागठबंधन के लिए भी यह परीक्षा की घड़ी है. राजद ने निश्चित तौर पर बेहतर परफार्म किया है. बेलहर और सिमरी बख्तियारपुर की जीत यह साबित करती है कि राजद का समीकरण अब भी उसके पक्ष में गोलबंद है. नाथनगर की सीट पर हम के उम्मीदवार नहीं होते तो यह सीट भी जदयू को झटका दे सकती थी. जनादेश का सबसे कठिन संकेत कांग्रेस के लिए है.
कांग्रेस इस बार उप चुनाव में दो जगहों पर खड़ी थी. दोनों ही सीटें परिवार के लोगों को दी गयीं. किशनगंज में मौजूदा सांसद मो जावेद की मां सइदा बानो की उम्मीदवारी खुद अल्पसंख्यक मतदाताओं ने ही नकार दिया. यहां पूर्व सांसद मौलाना असरारूल हक के बेटे भी टिकट के दावेदार रहे थे.
पार्टी ने उनके या किसी कार्यकर्ता की जगह मौजूदा सांसद की मां को उम्मीदवार बना दिया. इसी प्रकार समस्तीपुर में पांच बार से हार रहे डॉ अशोक कुमार को इस बार उम्मीदवार बनाया गया. कांग्रेस के लिए संतोष की बात यही रही कि इस बार हार का अंतर पिछली बार की तुलना में कम रहा.

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