पुलिस हो गयी बर्बर : नंदकिशोर
पटना : विधानसभा में विपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने आरोप लगाया कि सरकार नक्सलियों के प्रति सॉफ्ट है, सॉफ्ट जबकि नक्सली निरीह महिला व बच्चों पर जुल्म कर रहे हैं. औरंगाबाद पुलिस गोलीकांड में दो की मौत से एक बार फिर उसका बर्बर चेहरा सामने आ गया है. इससे सरकार व पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न् खड़ा हो गया है.
सरकार को खुफिया जानकारी थी कि लोग थाना व ब्लॉक पर प्रदर्शन कर सकते हैं. जानकारी के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं की गयी. उन्होंने घटना की न्यायिक जांच कराने और मृतक के परिवार को 15-15 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की है. वह सोमवार को सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद पत्रकारों को जानकारी दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि एनडीए शासनकाल में पुलिस गोलीकांड की न्यायिक जांच करायी गयी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि औरंगाबाद में पुलिस फायरिंग मामले को सरकार नक्सली बनाम पुलिस के रूप में बदलने की कोशिश कर रही है. सबसे बड़ी बात है कि इस राज में जनता का प्रशासन पर भरोसा नहीं रह गया है जबकि सरकार की पकड़ प्रशासन पर नहीं है. सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिससे कि हम जनता का विश्वास जीत कर नक्सलियों को मुख्यधारा में ला सकें. पुलिस की कार्रवाई से जनता में आक्रोश है.
औरंगाबाद के मदनपुर में सैकड़ों महिला व बच्चों में आक्रोश पैदा होना यह साबित करता है कि पुलिस की कार्रवाई बर्बरतापूर्ण रही. पुलिस पदाधिकारी कह रहे हैं कि गोली चलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इधर,मुख्यमंत्री का बयान है कि ग्रामीणों के साथ ज्यादती की शिकायत आयी है. पुलिस व मुख्यमंत्री के बयान विरोधाभासी हैं.
पटना : विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने रोहतास की घटना के महज दो सप्ताह के अंदर ही औरंगाबाद में पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत को पुलिसिया बर्बरता का परिणाम बताया है. उन्होंने कहा कि पुलिस ने अपना नियंत्रण खो दिया है और निरंकुश हो गयी है. उन्होंने दोनों मामलों की न्यायिक जांच व मृतकों के परिजनों को दस-दस लाख का मुआवजा देने की मांग की है.
मोदी ने मुख्यमंत्री के उस बयान की भी निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा कि नक्सली समस्या का समाधान बंदूक से नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि बिहार का इतना विकास हो चुका है कि अब नक्सलियों को अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए आदमी नहीं मिल रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी पुलिस पूरे गांव को ही नक्सली बता कर उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाती हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने सोमवार को गया सांसद हरि मांझी के नेतृत्व में एक जांच दल को औरंगाबाद भेजा है. यह जांच दल मौके का मुआयना कर अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंपेगा. उन्होंने सरकार की इस बात की भी निंदा की है, जिसमें कहा गया है कि प्रखंड कार्यालय को घेरने वाली भीड़ नक्सलियों की थी और इस भीड़ ने पुलिस पर गोलियां चलायीं और बम फोड़े.
उन्होंने कहा कि जिन 16 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, उनमें दो नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं. इन दोनों को पुलिस ने जेल के बदले रिमांड होम भेज दिया है. मरनेवाला एकबच्चाभी नाबालिग था और वह सातवीं का छात्र था. मृतकों में एक महिला भी शामिल है, जिसे अब नक्सली बताया जा रहा है.