अब पटना हाइकोर्ट में हिंदी में भी दायर होंगी याचिकाएं

पटना : पटना हाइकोर्ट में अब हिंदी में भी सभी तरह की याचिकाएं दायर की जा सकेंगी. हाइकोर्ट ने मंगलवार को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब हाइकोर्ट में हिंदी में दायर सभी याचिकाओं पर सभी जज सुनवाई भी करेंगे. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 1, 2019 7:40 AM
पटना : पटना हाइकोर्ट में अब हिंदी में भी सभी तरह की याचिकाएं दायर की जा सकेंगी. हाइकोर्ट ने मंगलवार को इस संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अब हाइकोर्ट में हिंदी में दायर सभी याचिकाओं पर सभी जज सुनवाई भी करेंगे. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही, न्यायाधीश आशुतोष कुमार और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की पूर्ण पीठ ने इस मामले में विस्तृत सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे मंगलवार को सुनाया. इसके साथ ही हिंदी में सुनवाई करने वाला पटना हाइकोर्ट देश का पांचवां हाइकोर्ट बन गया है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, इलाहाबाद और राजस्थान हाइकोर्ट में पहले से यह सुविधा है.
पटना हाइकोर्ट के वकील इंद्रदेव प्रसाद ने इस संबंध में याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट को सुनवाई के समय बताया था कि संविधान के अनुच्छेद 350 और 351 में स्पष्ट लिखा गया है कि हिंदी का प्रचार कर उसका विकास किया जाये.
यह तभी होगा जब हाइकोर्ट में भी हिंदी का प्रयोग सभी रिट याचिकाओं को दायर करने के लिए लागू किया जाये. श्री प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार के मंत्रिमंडल (राजभाषा) सचिवालय ने नौ मई, 1972 को एक अधिसूचना जारी कर इसमें दुविधा की स्थिति उत्पन्न कर दी है. इसमें एक ओर जहां हाइकोर्ट में दायर होने वाले अापराधिक और फौजदारी मामलों में हिंदी के प्रयोग की बात कही गयी है, वहीं संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत हाइकोर्ट में मामलों को अंग्रेजी में दायर करने की बात कह कर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी गयी है.
उन्होंने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में पूर्ण पीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह का समय देते हुए कहा था कि वह मंत्रिमंडल (राजभाषा) सचिवालय द्वारा नौ मई, 1972 को जारी की गयी अधिसूचना के अपवाद को चार सप्ताह में खत्म कर कोर्ट को जानकारी दे. अगर इस अधिसूचना के अपवाद को संशोधित कर संविधान के अनुच्छेद 350 और 351 के तहत नयी अधिसूचना जारी नहीं कर दी जाती है तो इस अधिसूचना को रद्द भी किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि बिहार और यूपी हिंदीभाषी क्षेत्र है और अगर यहां भी हिंदी के प्रति भेदभाव बरता गया तो वह हिंदी के प्रति नाइंसाफी होगी. मालूम हो कि वकील इंद्रदेव प्रसाद पटना हाइकोर्ट में अपने सारे मुकदमे हिंदी में ही दायर करते हैं. उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भी हिंदी में मुकदमा दायर किया है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति भी दे दी है.
क्या है मामला
वकील इंद्रदेव प्रसाद ने पटना हाइकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हिंदी में दायर की थी. हाइकोर्ट के न्यायाधीश आरके दत्ता की अध्यक्षता वाली एकलपीठ ने उन्हें इसे अंग्रेजी में दायर करने का निर्देश दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि पटना हाइकोर्ट के ही एक न्यायाधीश ने हिंदी में याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है. श्री प्रसाद को सुनने के बाद एकलपीठ ने मामले को पूर्ण पीठ के समक्ष भेज दिया था.
1998 से हाइकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं इंद्रदेव प्रसाद
इंद्र देव प्रसाद 1998 से पटना हाइकाेर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. वह राज्य सरकार के वकील भी रहे हैं. उन्होंने बताया कि हिंदी में बहस करने और शपथपत्र दायर करने के कारण उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है. वह लगातार हिंदी में ही याचिका दायर करते हैं और बहस भी करते हैं. कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि लगता है कि आजादी के बाद की खुशी महसूस हो रही है.

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