आम्रपाली ने ग्राहकों के 3,500 करोड़ रुपये इधर-उधर किये, आडिट रिपोर्ट जांच एजेंसियों को भी जायेगी

नयी दिल्ली : विवादों से घिरे रीयल एस्टेट समूह आम्रपाली ग्रुप ने मकान खरीदने वालों के 3,500 करोड़ रुपये दूसरी परियोजनाओं में लगा दिये. फारेंसिक आडिटरों ने उच्चतम न्यायालय को यह जानकारी दी है. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को फारेंसिक आडिटर की यह नयी रिपोर्ट उपलब्ध […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 30, 2019 10:33 PM

नयी दिल्ली : विवादों से घिरे रीयल एस्टेट समूह आम्रपाली ग्रुप ने मकान खरीदने वालों के 3,500 करोड़ रुपये दूसरी परियोजनाओं में लगा दिये. फारेंसिक आडिटरों ने उच्चतम न्यायालय को यह जानकारी दी है. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को फारेंसिक आडिटर की यह नयी रिपोर्ट उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ को दोनों फारेंसिक आडीटर पवन अग्रवाल और रवि भाटिया ने बताया कि आयकर विभाग और आर्थिक अपराध शाखा ने उनको नोटिस भेज कर यह आडिट रिपोर्ट तलब की है और साथ ही उसकी व्याख्या करने के लिए उन्हें खुद हाजिर होने को भी कहा है. शीर्ष अदालत ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. उसने इन फोरेंसिक आडिटरों को रिपोर्ट की प्रति जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराने की अनुमति दे दी है.

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में यह लाया गया है कि पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध शाखा) ने फारेंसिंक आडिटर की रिपोर्ट मंगायी है. हम फारेंसिक आडिटरों को उसे देने की अनुमति देते हैं, लेकिन उन्हें (आडिटरों को) जांच कार्य में किसी भी काम से नहीं बुलाया जा सकता है.” उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस मामले को उसके लक्ष्य तक पहुंचाना है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने आम्रपाली समूह को निदेशक दिया कि वह फारेंसिक आडिटरों की रिपोर्ट पर अपना जवाब एक अथवा दो दिन के भीतर दाखिल करे.

फारेंसिक आडीटरों ने अपनी ताजा अनुपूरक रिपोर्ट में कहा है कि अब तक की जांच पड़ताल में उन्होंने पाया है कि आम्रपाली समूह ने मकान खरीदारों के 3,500 करोड़ रुपये अलग अलग कंपनियों के जरिये दूसरी परियोजनाओं में लगाये हैं. उन्होंने कहा कि आम्रपाली समूह के प्रवर्तकों ने रीयल एस्टेट कंपनी में एक पैसा भी नहीं लगाया है और ऊंची इमारतों के निर्माण में केवल घर खरीदारों का पैसा ही लगाया गया है.

पवन अग्रवाल ने कहा कि 400 करोड़ रुपये की राशि तीन कंपनियों बिहारजी हाईराइज प्रा. लि. जोतिंद्रा स्टील एण्ड ट्यूब्स लि. और माउरिया उद्योग लिमिटेड के जरिये इधर- उधर की गयी. उन्होंने कहा कि सुरेखा परिवार ही 2015 के बाद आम्रपाली समूह को चला रहा था. यह परिवार जोतिंद्रा स्टील और माउरिया उद्योग का मालिक है. यह परिवार भी घर खरीदारों के धन की हेराफेरी में शामिल थे. सुरेखा परिवार के सदस्य आम्रपाली के लिये प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता थे और समूह की प्रत्येक कंपनी में निदेशक भी थे.

Next Article

Exit mobile version