पटना: भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए अपने सदस्यों व सहयोगी दलों से विधानमंडल का कामकाज बाधित करवा रही है. संसदीय इतिहास में शायद यह पहला मौका है, जब सत्ताधारी दल ने वेल में आकर लगातार दो दिनों तक प्रश्नकाल नहीं चलने दिया. उन्होंने कहा कि सरकार स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह को सदन की जवाबदेही से बचाने के लिए सुनियोजित रणनीति पर काम कर रही है.
मोदी ने कहा, सत्ता पक्ष दवा घोटाले की जिम्मेवारी से भाग रहा है. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मंत्री को भी बोलने नहीं दिया. विधान परिषद में भाजपा सदस्य रजनीश कुमार व बैद्यनाथ प्रसाद ने इस संबंध में सदन में निंदा प्रस्ताव भी पेश किया है. उन्होंने दवा घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग करते हुए कहा कि जब यह घोटाला हुआ, तो उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार में थे. 13 जनवरी को दवाओं की आपूर्ति ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से कराने की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया था. कमेटी को सात दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था, लेकिन उसने आज तक रिपोर्ट पेश नहीं की.
सत्ता पक्ष के विधायकों के विरुद्ध पारित हो निंदा प्रस्ताव : विधानसभा में विरोधी दल के नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि सरकार को सदन चलाने में रुचि नहीं है. सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने सदन चलाने में बाधा पैदा की है. उनके इस आचरण के लिए सदन द्वारा निंदा प्रस्ताव पारित किया जाए. दो दिनों से बिना वजह सत्ता पक्ष के सदस्यों का वेल में आना आश्चर्यजनक है. उन्होंने कहा कि दवा खरीद मामले में सरकार कटघरे में आ गयी है. इसी को देखते हुए सरकार ने सदन नहीं चलाने का निर्णय लिया है. मुख्य विपक्षी दल भाजपा को कार्यस्थगन पर दबाव बनाने के लिए वेल में आना पड़ा.