पटना: मोकामा बाइपास पर मुठभेड़ को लेकर सवाल उठने के बाद एसएसपी मनु महाराज पूरे मामले की खुद मॉनीटरिंग कर रहे हैं. दोबारा पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया.
एसएसपी ने अपनी निगरानी में कागजी ऑपचारिकताएं पूरी करायी. सूत्रों की माने तो मोकामा थाना की स्टेशन डायरी भी लंबित थी, जिसे एसएसपी के निर्देश पर एसडीपीओ ने अपने कब्जे में ले लिया है. मुठभेड़ कांड की एफआइआर भी एसएसपी ने अपनी निगरानी में कराया. मानवाधिकार आयोग को भी पूरी रिपोर्ट भेजने की तैयारी हो रही है.
एसडीपीओ राजकिशोर सिंह खुद पोस्टमार्टम के लिए पीएमसीएच में कैंप करते रहे. शनिवार की रात से लेकर रविवार की रात तक कागजी प्रक्रियाएं चलती रही. परिजनों की बातों को भी अधिकारी नजरअंदाज नहीं कर रहे है और स्थानीय पुलिस की बातों पर भी आंख मूंद कर भरोसा नहीं किया जा रहा है.
एफएसएल ने की छानबीन
इस मुठभेड़ में पुलिस टीम की ओर से बचाव में नौ राउंड फायरिंग की गयी थी. एफएसएल की टीम इस बात की छानबीन कर रही है कि किस पुलिस कर्मी के हथियार से फायरिंग हुई थी और किस हथियार से चली गोली राजू और अमर को लगी थी. क्योंकि इसमें नौ राउंड फायरिंग हुई थी. इसमें कुछ गोली उन दोनों को लगी और कुछ मिस कर गयी थी. इसके लिए हथियार की जांच हो रही है. हथियारों व स्कॉर्पियों के अंदर से अंगुली के निशान लिये गये थे. जिसकी भी जांच की जा रही है.
पुलिस की हथकड़ी कैसे पहुंची
पुलिस ने स्कॉर्पियो से एक हथकड़ी भी बरामद किया था. आखिर हथकड़ी कहां से राजू के पास आयी? यह बाजार में या एनसीसी या आर्मी के स्टोर में नहीं मिलती है. हथकड़ी को पुलिस मुख्यालय से एसपी कार्यालय और वहां से थाना को भेजा जाता है. हथकड़ी लेने और रिसीव करने की सारी प्रक्रिया को रजिस्टर में अंकित भी किया जाता है. कारतूस, हथियार आर्म्स सप्लायर की दुकान पर उपलब्ध हो जाते है, लेकिन हथकड़ी की सप्लाइ नहीं की जाती है. ग्रामीण एसपी हरि प्रसाद एस ने बताया कि छानबीन की जा रही है कि यहां कहां से लाया गया है. उन्होंने संभावना जतायी कि बिहार के बाहर से भी लायी जा सकती है, क्योंकि पूरे देश में एक जैसे ही हथकड़ी का उपयोग होता है.