पटना : कागजों से बाहर नहीं निकल पा रहीं स्मार्ट सिटी परियोजनाएं

पटना : बिहार के स्मार्ट घोषित चार शहरों में तेज गति से काम नहीं हो रहा. इसी साल घोषित बिहारशरीफ को छोड़ दें तो शेष तीन स्मार्ट सिटी शहरों को अब तक 535 करोड़ रुपये की राशि मिल चुकी है, जिनमें से महज 15.69 करोड़ रुपये ही खर्च किये जा सके. यह राशि भी स्मार्ट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 22, 2018 6:35 AM
पटना : बिहार के स्मार्ट घोषित चार शहरों में तेज गति से काम नहीं हो रहा. इसी साल घोषित बिहारशरीफ को छोड़ दें तो शेष तीन स्मार्ट सिटी शहरों को अब तक 535 करोड़ रुपये की राशि मिल चुकी है, जिनमें से महज 15.69 करोड़ रुपये ही खर्च किये जा सके.
यह राशि भी स्मार्ट परियोजनाओं की बजाय स्ट्रीट लाइट, पार्क व जिम आदि छोटे-मोटे प्रोजेक्ट पर खर्च हुए. स्मार्ट सिटी का आधार कही जाने वाली परियोजनाओं स्मार्ट सड़क, स्मार्ट सोलर लाइट, कंट्रोल कमांड सिस्टम व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आदि पर किसी शहर ने काम शुरू करना तो दूर, टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं की है.
दो साल में भागलपुर ने खर्च किये महज 12.93 करोड़
भागलपुर स्मार्ट सिटी का गठन हुए दो साल बीत गये. इस अवधि में सिटी को 392 करोड़ रुपये की राशि आवंटित हुई, लेकिन काम महज 12.93 करोड़ रुपये का ही हो सका है.
इसके बाद वर्ष 2017 में मुजफ्फरपुर और पटना को एक साथ स्मार्ट सिटी घोषित किया गया. अब तक पटना स्मार्ट सिटी को 118 करोड़ रुपये, जबकि मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी को 17 करोड़ रुपये मिले हैं. इनमें मुजफ्फरपुर ने 2.76 करोड़ खर्च किये, लेकिन पटना एक रुपये भी खर्च नहीं कर सका.
पटना में अब तक सिर्फ गांधी मैदान में बड़े स्क्रीन पर काम शुरू हुआ है, जबकि सेंट्रल कमांड सिस्टम, वीरचंद पटेल पथ पर स्मार्ट सड़क और मंदिरी नाला पर सड़क सहित कई बड़े प्रस्ताव का टेंडर तक नहीं हो पाया है.
नगर आयुक्त नहीं कर पा रहे सीईओ का काम
राज्य सरकार ने स्मार्ट सिटी कंपनियों का चेयरमैन संबंधित प्रमंडलीय आयुक्त, जबकि सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) संबंधित नगर आयुक्त को बनाया है. लेकिन, व्यस्तताओं की वजह से नगर आयुक्त काम नहीं कर पा रहे.
इस समस्या से निबटने के लिए सरकार ने संविदा पर सीईओ, सीएफओ, सीजीएम व कंपनी सेक्रेटी आदि पदों पर बहाली का प्रस्ताव दिया, लेकिन इन पदों पर भी बहाली नहीं हो सकी. फिलहाल मॉनसून की स्थिति को देखते हुए अगले तीन-चार महीने भी नगर आयुक्त स्मार्ट सिटी परियोजनाओं पर ध्यान दे पाएं, इसकी उम्मीद भी कम ही दिखती है.

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