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बिहार में फसल सहायता योजना लागू 31 जुलाई तक करा सकते हैं निबंधन

एक प्रतिशत फसल क्षति पर भी प्रति हेक्टेयर साढ़े सात हजार मिलेगा पटना : राज्य में खरीफ के लिए फसल सहायता योजना लागू हो गयी है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को सहकारिता विभाग के पोर्टल पर निबंधन कराना होगा. सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने बुधवार को पोर्टल को एक समारोह […]

एक प्रतिशत फसल क्षति पर भी प्रति हेक्टेयर साढ़े सात हजार मिलेगा
पटना : राज्य में खरीफ के लिए फसल सहायता योजना लागू हो गयी है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को सहकारिता विभाग के पोर्टल पर निबंधन कराना होगा.
सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने बुधवार को पोर्टल को एक समारोह में लांच किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि एक से 20 प्रतिशत तक फसल की क्षति होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर साढ़े सात हजार रुपये तथा 20 प्रतिशत से अधिक क्षति पर प्रति हेक्टेयर 10 हजार रुपये का मुआवजा मिलेगा.
रैयत और गैर रैयत किसान अधिकतम दो हेक्टेयर तक मुआवजा ले सकते हैं. सिंह ने कहा कि किसान 31 जुलाई तक धान और मक्का के लिए निबंधन करा सकते हैं. निबंधन के लिए किसान का आधार और मोबाइल नंबर जरूरी है. निबंधन 24 घंटे हो सकता है.
पंचायत स्तर पर चार फसल कटनी के आधार पर पिछले सात वर्षों के उत्पादन के औसत के आधार पर फसल क्षति का आकलन होगा. उन्होंने बताया कि किसानों को कोई राशि नहीं देनी है. विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि जल्द ही मोबाइल से भी निबंधन कराने की व्यवस्था लागू होगी.
निबंधन नि:शुल्क है. फसल क्षति दावा का आकलन और जांच के बाद 15 दिनों के अंदर किसानों के बैंक खाता में राशि चली जायेगी. इस मौके पर निबंधक सहयोग समितियां रचना पाटिल सहित विकास कुमार बरियार, शशि शेखर सिन्हा, मुकुल कुमार और अखिलेश कुमार मौजूद थे.
अब तक शुरू नहीं हो सकी दाल की खरीद
पटना : दाल उत्पादक किसानों को सरकारी आश्वासन काम नहीं आया. अब तक दाल की खरीद शुरू नहीं हो पायी है, जबकि सहकारिता मंत्री ने 15 जून से ही दाल खरीद की बात कही थी. वहीं, राज्य में गेहूं खरीद की भी स्थिति अच्छी नहीं है. राज्य के चार जिले पटना, लखीसराय, शेखपुरा और नालंदा में दाल का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है. इस साल भी पैदावार अच्छी हुई, लेकिन किसानों को उचित कीमत नहीं मिल रही है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
मोकामा टाल के नाम से मशहूर इस दाल उत्पादक क्षेत्र को दाल का कटोरा भी कहा जाता है. पिछले दिनों दाल खरीद को लेकर यहां के किसानों ने आंदोलन किया था. एक लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में इस इलाके में दाल की खेती होती है. मुख्य रूप से इस क्षेत्र में मसूर की खेती होती है. सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने बताया कि सरकार दाल खरीद का प्रयास कर रही है. जल्द ही चार जिलों पटना.
नालंदा, लखीसराय और शेखपुरा में दाल की खरीद शुरू होगी. इधर, सरकारी तौर पर गेहूं खरीद की रफ्तार काफी धीमी है. 34 जिलों में इसकी खरीद हो रही है. अब तक मात्र 8600 टन गेहूं की ही खरीद हो पायी है. इस कारण किसान 1400 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर ही गेहूं बेचने को विवश हैं.

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