कांग्रेस महागठबंधन में उसकी वापसी के लिए सहयोगी दलों से चर्चा

कांग्रेस उन्हीं के साथ, जिनके सवाल पर नीतीश अलग हुए पटना : बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के इस प्रस्ताव पर कि जदयू भाजपा का साथ छोड़ता है तो कांग्रेस महागठबंधन में उसकी वापसी के लिए सहयोगी दलों से चर्चा कर सकती है, जदयू ने सोमवार को पलटवार किया. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 19, 2018 5:22 AM

कांग्रेस उन्हीं के साथ, जिनके सवाल पर नीतीश अलग हुए

पटना : बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के इस प्रस्ताव पर कि जदयू भाजपा का साथ छोड़ता है तो कांग्रेस महागठबंधन में उसकी वापसी के लिए सहयोगी दलों से चर्चा कर सकती है, जदयू ने सोमवार को पलटवार किया. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस बिहार मेें उन्हीं तत्वों के साथ खड़ी है, जिनके सवाल पर नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे. वह सवाल अब तक ज्यों-के-त्यों अनुत्तरित है. कांग्रेस कोई सुझाव देने से पहले राहुल गांधी
से उस सवाल पर तो अपना पोजिशन क्लियर कराये. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद नहीं चाहते थे कि कांग्रेस को 40 सीटें मिले. इसके गवाह बिहार कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी सीपी जोशी और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी हैं. कई वर्कर तो जदयू से कांग्रेस में गये चुनाव लड़ने. उनके पास वर्कर भी नहीं थे. यह नीतीश कुमार का करिश्मा ही था कि कांग्रेस चार सीटों से 27 सीटों तक पहुंच गयी.
त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार और जदयू का दागदार पार्टियों और नेताओं के साथ काम करना संभव नहीं है. जहां तक धर्मनिरपेक्षता का सवाल है तो नीतीश कुमार उस पर कहां समझौता कर रहे
कांग्रेस उन्हीं के…
हैं. उन्होंने कहा कि राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के सवाल पर राहुल गांधी ने अब तक जवाब नहीं दिया है. महागठबंधन में राहुल गांधी और नीतीश कुमार के बीच अंडरस्टैंडिंग थी. दोनों नेता विजनरी हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ दोनों नेताओं की प्रतिबद्धता है. नीतीश कुमार ने पी चिदंबरम की पुस्तक के विमोचन पर खुद राहुल गांधी को फोन किया था कि आप आगे बढ़िए, वह उनके साथ हैं. उन्होंने बताया कि जदयू को निराशा तब हुई जब आखिरी मुलाकात के वक्त तेजस्वी यादव का विवाद पीक पर चल रहा था. लालू प्रसाद अदालत द्वारा दोषी करार दिये जा चुके थे और दबाव तेजस्वी को लेकर था. ऐसे में बड़ा फैसला लेने के दो दिन पहले राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी और यही कहा गया था कि तेजस्वी अपना पोजिशन तो क्लियर करें. जदयू ने तेजस्वी का कभी इस्तीफा नहीं मांगा. राहुल गांधी ने उस समय भी बस इतना कहा कि ठीक है, ठीक है. त्यागी ने कहा कि उस वक्त राहुल गांधी ने यह भी साफ नहीं किया कि वह नीतीश कुमार के सवाल को सपोर्ट करते हैं या तेजस्वी प्रसाद यादव को अपना पोजिशन क्लियर करना चाहिए. इस पर राहुल गांधी मौन रहे. राहुल गांधी ने अगर उस समय बढ़कर लीड ली होती तो आज स्थिति दूसरी रही होती.
लालू प्रसाद नहीं चाहते थे कि कांग्रेस को 40 सीटें मिले
यह नीतीश का करिश्मा ही था कि कांग्रेस 4 से 27 सीटों तक पहुंच गयी
उस समय राहुल गांधी ने बढ़कर लीड ली होती तो आज दूसरी स्थिति होती
दागदार पार्टियों व नेताओं के साथ जदयू का काम करना संभव नहीं

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