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एनजीओ मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान व आदि शक्ति सेवा संस्थान का निबंधन रद्द

पटना : पूर्व नियोजित साजिश के तहत सरकारी राशि के गबन के आरोपित दो एनजीओ मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान बख्तियारपुर और आदि शक्ति सेवा संस्थान का निबंधन मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने रद्द कर दिया है. आयुक्त उत्पाद सह निबंधन महानिरीक्षक आदित्य कुमार दास ने कहा कि इन एनजीओ द्वारा संस्था निबंधन अधिनियम […]

पटना : पूर्व नियोजित साजिश के तहत सरकारी राशि के गबन के आरोपित दो एनजीओ मां सर्वेश्वरी सेवा संस्थान बख्तियारपुर और आदि शक्ति सेवा संस्थान का निबंधन मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने रद्द कर दिया है. आयुक्त उत्पाद सह निबंधन महानिरीक्षक आदित्य कुमार दास ने कहा कि इन एनजीओ द्वारा संस्था निबंधन अधिनियम 1860 के तहत कार्य नहीं किया गया. संस्था के विरुद्ध पटना डीएम द्वारा लगाये गये आरोप सत्य पाये गये. संस्था सचिव द्वारा नोटिस नहीं लिये जाने से स्पष्ट है कि यह अपने उद्देश्यों के विपरीत कार्य कर रही है और सरकारी राशि के गबन में उनकी स्पष्ट संलिप्तता है.
संपत्ति की होगी जांच
आदित्य कुमार दास ने बताया कि ऐसी स्थिति में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 21 1860 की धारा 13 एवं बिहार सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण नियमावली 1965 के नियम 12, 13, 14 के अधीन इन दोनों संस्थाओं का निबंधन रद्द कर दिया गया है. इस संस्था के कोई पदधारक या सदस्य अब इस संस्था के नाम से कोई भी कार्रवाई संचालित नहीं करेंगे. संस्था के किसी भी पदधारक या सदस्य द्वारा किसी भी बैंक खाते का संचालन नहीं किया जायेगा तथा किसी भी चल एवं अचल संपत्ति का क्रय-विक्रय नहीं किया जायेगा. पटना डीएम इनके चल-अचल संपत्ति के संबंध में जानकारी प्राप्त कर उसे अपने अधीन लेते हुए आईजी निबंधन को भेजेंगे, ताकि इसके निष्पादन के संबंध में कार्रवाई की जा सके. मालूम हो कि इन दोनों संस्थाओं का नाम शौचालय घोटाला में सामने आया था. इनके पदधारकों के नाम पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है.
14 करोड़ 37 लाख का हुआ था घोटाला
पटना . पटना जिला में बीते वर्ष 14 करोड़ 37 लाख रुपये के करीब शौचालय घोटाले का मामला सामने आया था. घोटाला में कई एनजीओ ने फर्जी लाभुक बनाकर शौचालय निर्माण के पैसे डकार लिये थे. इसमें व्यक्तिगत शौचालय की प्रोत्साहन राशि देने का काम वर्ष 2013 से ही लोक स्वास्थ्य नियंत्रण विभाग की ओर से चल रहा था.
इस योजना में एनजीओ के माध्यम से शौचालय का निर्माण कराया जाना था, मगर एनजीओ के माध्यम से शौचालय बनाने का काम 2015 में ही बंद कर दिया गया था. इसके बाद योजना को स्वच्छ भारत मिशन से जोड़ दिया गया था और फिर सीधे पैसा लाभुकों के खाते में दिया जाने लगा, बावजूद इसके पीएचईडी के पूर्व अभियंता व रोकड़पाल ने एनजीओ को काम देना बरकरार रखा.
प्रचार में लगे थे 1.5 करोड़, मगर नहीं मिला विवरण : शौचालय निर्माण में 13.5 करोड़ रुपये घोटाला होने के अलावा 1.5 करोड़ रुपया प्रचार-प्रसार में खर्च करने की रिपोर्ट बनायी गयी थी, लेकिन उसका कोई प्रामाणिक विवरण व खर्च का बिल व रिपोर्ट नहीं दिया गया है.

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