पटना : दिल्ली में चल रहे नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बिहार के लिये विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर सियासत होनी शुरू हो गयी. मुख्यमंत्री के इस मांग को पुन: उठायेजाने के बाद भाजपा की ओर से विरोधी प्रतिक्रियाएंआने लगी हैं. बिहार भाजपा के वरीय नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर ने इस मांग को सिरे से खारिज कर विवाद पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि कई राज्य विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं. अगर एक को मिलेगा तो अन्य राज्य भी ऐसा ही चाहेंगे. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं और इस मांग को उठाना उनका काम है. वैसे बिहार कोई नया राज्य तो है नहीं. ये दर्जा तो किसी नये राज्य को मिलना चाहिए. बिहार में अगर संसाधनों की कमी है तो उसे इस हाल में लाने के लिए जिम्मेवार कौन है? वहीं, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता मंगल पांडेय पहले तो इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
विदित हो कि विशेष दर्जा के मुद्दे पर जदयू और भाजपा पिछले कुछ समय से खींचतान चल रही है. जदयू कई बार इस मुद्दे पर आक्रामक तक हो जाता है. जदयू नेता आरसीपी सिंह ने पिछले महीने कहा था कि विशेष दर्जा, बिहार का हक है, वह कोई भीख नहीं मांग रहा. नीतीश कुमार ने हाल ही में 15वें वित्त आयोग को पत्र लिख कर इस मांग को फिर उठाया था. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना, नीतीश कुमार का प्राइम एजेंडा में शामिल है.
वहीं, नीतीश कुमार की इस मांग को केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी सिरे से खारिज कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि संविधान में विशेष दर्जा का कोई जिक्र नहीं है. कई मानकों को पूरा करने के बाद किसी राज्य को यह दर्जा मिलता है. यूपीए-2 की सरकार इस मांग को पहले ही खारिज कर चुकी है. जदयू और भाजपा के बीच यह मुद्दा राजनीतिक विवाद का बड़ा कारण बन सकता है.