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देश में साथ शुरू हुए छह एम्स, पटना सबसे पीछे

धीमी गति : पटना एम्स में अब तक किडनी के इलाज की नहीं है सुविधा कैंसर की सिंकाई के लिए कछुआ गति से चल रहा बंकर का निर्माण आधी रात को भी मरीजों को कर दिया जाता है रेफर आनंद तिवारी पटना : दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तर्ज पर देश के […]

धीमी गति : पटना एम्स में अब तक किडनी के इलाज की नहीं है सुविधा
कैंसर की सिंकाई के लिए कछुआ गति से चल रहा बंकर का निर्माण
आधी रात को भी मरीजों को कर दिया जाता है रेफर
आनंद तिवारी
पटना : दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की तर्ज पर देश के छह अन्य शहरों में एम्स के निर्माण का काम एक साथ शुरू हुआ था. सभी जगह एम्स ठीक से बन गये, लेकिन पटना एम्स आज भी आधा अधूरा ही है. ऋषिकेश, भुवनेश्वर और रायपुर एम्स पटना से कहीं ज्यादा आगे चल रहे हैं. जानकारों का कहना है कि निर्माण कार्य की यही रफ्तार रही तो आने वाले पांच साल में भी यह अपने सही स्वरूप में नहीं आ पायेगा.
आधी रात पीएमसीएच रेफर हो जाते हैं मरीज : अस्पताल शुरू होने के छह साल बाद भी यहां इमरजेंसी वार्ड व बड़े ऑपरेशन शुरू नहीं हो पाये हैं.
आज भी पटना एम्स में अगर आधी रात कोई गंभीर मरीज पहुंच जाये तो उसे पीएमसीएच या आईजीआईएमएस रेफर कर दिया जाता है. हालांकि बिल्डिंग निर्माण के काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है लेकिन ऑक्सीजन पाइप लाइन, सेंट्रल एसी, ऑपरेशन मशीन, फर्श फिनिशिंग, बेड आदि कई ऐसे कार्य हैं, जो अधूरे पड़े हैं.
वार्ड ब्लॉक का निर्माण अधूरा, बेड बढ़ाने की योजना पर लग चुका है ब्रेक
रीजों को भर्ती होने के लिए यहां नये वार्ड का निर्माण हो रहा है. इसके लिए कुल चार ब्लॉक एक, बी, सी और डी बनाने का निर्णय लिया गया था. हालांकि एक और डी ब्लॉक बन कर तैयार है, लेकिन बी और सी ब्लॉक का काम काफी पीछे चल रहा है. ऐसे में मरीजों को भर्ती होने और बेड बढ़ाने की योजना पर ब्रेक लग चुका है.
अस्पताल प्रशासन जिम्मेदार ठेकेदार को कई बार फटकार लगा चुकी है, लेकिन ब्लॉक के निर्माण के कार्य में तेजी नहीं आ रही है.
कैंसर सिंकाई के लिए बंकर का काम अधूरा : कैंसर मरीजों की सिकाई (रेडियोथैरेपी) के लिए यहां बंकर बनाने का निर्णय लिया गया. इसके लिए एम्स प्रशासन ने एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) को पत्र भी लिखा था. लेकिन अभी तक बिल्डिंग निर्माण पूरा नहीं हुआ है. वैसे यहां ब्रेकी थेरेपी व लीनियर एक्सेलरेटर मशीन आ चुकी है.
2012 में हो जाना था तैयार : 2006 में पटना एम्स का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जिसे 2012 तक पूरा होना था. 960 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले एम्स के लिए छह पैकेज निर्धारित थे. लेकिन अधिकारियों में आपसी सामंजस्य नहीं होने से इसका विकास कार्य प्रभावित हुआ. इसे 950 बेडों का बनाया जाना है जबकि अब तक सिर्फ 220 बेडों की ही सुविधा मिल रही हैं. 500 बेड मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए होंगे, 300 बेड सुपर स्पेशिएलिटी विभागों के लिए, 100 आईसीयू के लिए, 30 आयुष विभाग और 30 फिजियोथेरेपी के लिए होंगे.
ये विभाग हैं कार्यरत
जनरल सर्जरी, स्त्री एवं प्रसूति, ऑर्थोपेडिक्स, शिशु विभाग, चर्म रोग, ईएनटी, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, रेडियो डायग्नोसिस, रेडियोथेरेपी, एनेस्थेसियोलॉजी, साइकिएट्री, न्यूनेटोलॉजी, दंत रोग, कॉर्डियो थोरासिस, न्यूरो सर्जरी, शिशु सर्जरी, बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी, प्लमोनरी मेडिसिन, कॉर्डियोलॉजी, गैस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, मेडिकल ऑनकोलॉजी, हेमाटोलॉजी,
ये विभाग नहीं हुए चालू
ट्रॉमा एवं इमरजेंसी, नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एरो स्पेस मेडिसिन, न्यूक्लियर मेडिसिन
छह एम्स अस्पताल
पटना, भोपाल, रायपुर, भुवनेश्वर, ऋषिकेश, जोधपुर
क्या कहते हैं अधिकारी
काम काफी तेजी गति से चल रहा है.ब्लड बैंक, गैस्ट्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी आदि कई ओपीडी विभागों को शुरू करा दिया गया है. इमरजेंसी व बंकर निर्माण का कार्य भी तेजी गति से चल रहा है. पीजी कोर्स और जिन वार्ड में डॉक्टर की अधिक कमी थी, उसे भी लगभग पूरा कर लिया गया है. आधुनिक उपकरण और डॉक्टरों की कमी को जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा.
डॉ पीके सिंह, डायरेक्टर, एम्स

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