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मानव तस्करी में बिहार-झारखंड सहित ये पांच राज्य हैं संवेदनशील

पटना : मानव तस्करी के बढ़ते मामले देश के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. खास तौर से बिहार, झारखंड, ओडिसा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले सामने आते हैं. चिंता की बात यह है कि बच्चों की तस्करी सबसे ज्यादा हो रही है. ऐटसेक इंडिया के नेशनल […]

पटना : मानव तस्करी के बढ़ते मामले देश के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है. खास तौर से बिहार, झारखंड, ओडिसा, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले सामने आते हैं. चिंता की बात यह है कि बच्चों की तस्करी सबसे ज्यादा हो रही है.
ऐटसेक इंडिया के नेशनल कंवेनर मानवेंद्र मंडल ने बताया कि महिला व बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट भी बताती है कि भारत से हर साल तीन मिलियन बच्चों व महिलाओं की तस्करी हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पांच से 20 हजार लड़कियां हर साल मानव तस्करी की शिकार हो रही हैं.
इन भयावह आंकड़ों को लेकर स्वयंसेवी संस्था ऐटसेक इंडिया ने पुलिस मुख्यालय से लेकर लॉ यूनिवर्सिटी तक के अधिकारियों के साथ मंथन किया. चर्चा के बाद ऑनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉयटेशन के बढ़ते मामले पर रोक लगाने की बात हुई. वक्ताओं ने कहा कि जागरूकता से ही यह संभव है.
गुरुवार को पटना के पाटलिपुत्र अशोक होटल में चाइल्ड सेक्सुअल एक्सप्लॉइटशन एंड चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई. ऐटसेक इंडिया के नेशनल कंवेनर मानवेंद्र मंडल ने बताया कि कार्यक्रम में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बिहार पुलिस आलोक राज, एडीजी सीआईडी विनय कुमार, आईएएस विजय प्रकाश, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी पटना के डीन डॉ एसपी सिंह, बालसा के सचिव सुनील दत्त मिश्र आदि शामिल हुए. कार्यक्रम की अध्यक्षता एेटसेक बिहार के संयोजक वाईके गौतम ने की.
मानवेंद्र मंडल ने बताया कि बच्चे आज-कल प्रलोभन के शिकार हो रहे हैं. इसका एक मुख्य असर चाइल्ड ट्रैफिकिंग के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि बच्चे आजकल ऑनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल रिलेशन का ज्यादा शिकार हो रहे हैं. चाइल्ड सेक्स टूरिज्म एंड सेक्सुअल एक्सप्लेनेशन ऑफ चिल्ड्रेन इन ट्रेवल एंड टूरिज्म पर भी विस्तार से बात हुई.

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