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पटना : पीएमसीएच में नये प्रिंसिपल व अधीक्षक, संसाधन व शिक्षा में सुधार बड़ी चुनौती
पटना : डॉ अजीत कुमार वर्मा को पटना मेडिकल कॉलेज का प्रिसिंपल व डॉ. राजीव रंजन प्रसाद को अधीक्षक बनाया गया है. इन दोनों ही नये अधिकारियों के सामने समस्याओं से ग्रस्त पीएमसीएच को संवारना और उसे बड़ी पहचान देना बड़ी चुनौती होगी. समस्याओं के समाधान के लिए इनको कड़ी मशक्कत करनी होगी, क्योंकि वर्तमान […]
पटना : डॉ अजीत कुमार वर्मा को पटना मेडिकल कॉलेज का प्रिसिंपल व डॉ. राजीव रंजन प्रसाद को अधीक्षक बनाया गया है. इन दोनों ही नये अधिकारियों के सामने समस्याओं से ग्रस्त पीएमसीएच को संवारना और उसे बड़ी पहचान देना बड़ी चुनौती होगी.
समस्याओं के समाधान के लिए इनको कड़ी मशक्कत करनी होगी, क्योंकि वर्तमान समय में नियमों पर खरा उतरना और सुविधाएं जुटाना अस्पताल प्रशासन के लिए गले की हड्डी बन गया है. कई ऐसी समस्याएं यहां घर कर चुकी हैं जिन्हें प्रशासन को न तो निगलते बन रहा और ही उगलते. एमसीआई की टीम द्वारा इस संस्थान के कई दौरों के बावजूद पीएमसीएच के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है.
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद प्रसाद ने कहा कि पीएमसीएच में डॉक्टर व मरीजों का संबंध अगर बेहतर है तो कम संसाधन में ही अच्छा इलाज किया जा सकता है. इस बात को नये प्रिंसिपल व अधीक्षक दोनों को ही ध्यान देने की जरूरत है.
समस्या एक : मशीनें बंद, दलाल सक्रिय
पीएमसीएच में पिछले कई वर्षों से दर्जनों मशीनें बंद पड़ी हैं. इनमें खास कर कैंसर वार्ड की कोबाल्ट, ऑटो एनालाइजर, किडनी डायलिसिस, ओसीटी, वेंटिलेटर आदि कई ऐसी मशीनें हैं जो पिछले कई वर्षों से बंद हैं. नतीजा मशीनों से जांच नहीं होने पर मरीजों को बाहर जाना पड़ता है. इतना ही नहीं मशीन बंद होने का फायदा दलाल उठाते हैं.
समस्या दो : आये दिन होती है हड़ताल
पीएमसीएच में सबसे अधिक परेशानी मरीजों को तब होती है जब जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाते हैं. नतीजा कई दिनों तक इलाज व्यवस्था चरमरा जाती है. यहां कई गंभीर मरीज इलाज कराने आते हैं ऐसे में अगर मरीज की मौत हो जाती है तो बार-बार परिजन हंगामा करते हैं, इतना ही नहीं सुरक्षा की कमी के कारण कई बार जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट होती है.
समस्या तीन : इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव
पीएमसीएच मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के निरीक्षण में आये अधिकारी हमेशा कॉलेज में कमियां और एजुकेशन सुधार के लिए पीएमसीएच के अधिकारियों को फटकार लगाते हैं.
क्लास में मेडिकल छात्रों की उपस्थिति तय मानक से कम है. क्लास रूम में सीसीटीवी कैमरा के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. इसके अलावा डीएम न्यूरो, कैंसर, स्किन सहित कई विभागों में पीजी की पढ़ाई अभी तक शुरू नहीं हो पायी है.
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