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जाम से निजात के लिए प्रशासन ने बनाया रोड मैप
बिहटा : गुरुवार को बिहटा थाना परिसर में पटना और भोजपुर पुलिस प्रशासन और बालू व्यवसायियों की बैठक आयोजित की गयी. बैठक में सड़क जाम लगने के कारण और इसमें सुधार के लिए विभिन्न मुद्दे पर करीब एक घंटा वार्ता हुई. वहीं पटना सिटी एसपी रवींद्र कुमार ने जाम से निजात के लिए पटना और […]
बिहटा : गुरुवार को बिहटा थाना परिसर में पटना और भोजपुर पुलिस प्रशासन और बालू व्यवसायियों की बैठक आयोजित की गयी. बैठक में सड़क जाम लगने के कारण और इसमें सुधार के लिए विभिन्न मुद्दे पर करीब एक घंटा वार्ता हुई. वहीं पटना सिटी एसपी रवींद्र कुमार ने जाम से निजात के लिए पटना और भोजपुर पुलिस की एक विशेष टीम गठन किया. उन्होंने कहा कि सुबह छह बजे से लेकर रात के 12 बजे तक बड़े वाहनों का परिचालन पटना की तरफ नहीं होगा.
वहीं, पटना जिला को शाहाबाद से जोड़ने वाला कोईलवर पुल एक घंटा अप में और एक घंटा डाउन में खोला जायेगा. पटना की तरफ जाने वाले बड़े वाहनों को बिहटा-मनेर रोड में और भोजपुर की तरफ जाने वाले बड़े वाहनों को बिहटा राघोपुर से पहले औरंगाबाद मार्ग में पार्क किया जायेगा. उन्होंने कहा कि नियम को तोड़ने वाले चालक पर कार्रवाई कर जुर्माना वसूल किया जायेगा. मौके पर दानापुर एएसपी मनोज तिवारी, दानापुर एसडीओ, परिवहन जिला पदाधिकारी, बीडीओ, सीओ सहित भोजपुर के एएसपी, एसडीएम आदि मौजूद थे.
आज भी याद है मक्का का पहला रोजा: आईशा
पटना सिटी के गुजरी बाजार स्थित क्षेत्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की डॉ आईशा परवीन बताती हैं कि सऊदी अरब के मक्का में आठ वर्ष की आयु में पहला रोजा रखा था. पिता डॉ नासिर हुसैन जद्दा अरब में रेडियोलॉजिस्ट थे. जब मैं तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, तभी मां शाहिदा परवीन व पिता के साथ मिल कर खुद की जिद पर रोजा रखा था.
डॉ आईशा बताती हैं कि 12 वर्ष की आयु तक वे रमजान के एक माह में दस से 12 रोजा रखती थीं. इच्छा तो होती थी पूरे माह रोजा रखने की, लेकिन घर में इजाजत नहीं मिली. अतीत को याद कर डॉ आईशा बताती हैं कि रमजान के दरम्यान वहां जुमा के दिन शुक्रवार को छुट्टी होती थी, जिसमें वहां रहने वाले भारतीय परिवार एक-दूसरे के घर इफ्तार भेजते थे. घर पर बुला कर इफ्तार कराया जाता था. घर में पांच बहन व भाई थे. सब मिलजुल कर रमजान में तैयारी करते थे.
अलीगढ़ में पढ़ाई के दरम्यान जब छात्रावास में रहती थी, तब वहां पर इफ्तार व सेहरी का आयोजन मुस्लिम व गैर मुस्लिम मिल करते थे. एक साथ मिल कर इफ्तार सामग्री बनाते थे.
डॉ आईशा की मानें तो रोजा का असली मकसद फाका करना भूखे रहना नहीं, बल्कि आत्मा को गुनाह व बुराई से दूर करना ही असली रोजा है. इस अवधि में कुरान शरीफ का पाठ करना, आपस में लड़ाई- झगड़ा नहीं करना, एक -दूसरे की मदद करना ही इसका मकसद है क्योंकि यह पवित्र माह अल्लाह का है.
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