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पटना : शव का भार नहीं उठा पा रही बीमार व्यवस्था

पीएमसीएच और एनएमसीएच में ही केवल दो-दो शव वाहन की सुविधा पटना : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शव वाहन की सुविधा दी है. लेकिन वाहन की संख्या कम और बॉडी की संख्या अधिक होने के चलते हर मृतक के परिजनों को यह सुविधा नहीं मिल पा […]

पीएमसीएच और एनएमसीएच में ही केवल दो-दो शव वाहन की सुविधा
पटना : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शव वाहन की सुविधा दी है. लेकिन वाहन की संख्या कम और बॉडी की संख्या अधिक होने के चलते हर मृतक के परिजनों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है. एेसे में परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
पटना की बात करें तो पीएमसीएच व एनएमसीएच में ही केवल शव वाहन की सुविधा है, जहां दो-दो वाहन उपलब्ध हैं. आईजीआईएमएस और एम्स में तो अपनी शव वाहन की सुविधा भी नहीं है.
अकेले पीएमसीएच की बात करें, तो यहां रोजाना छह से आठ ऐसे मामले आते हैं, जिनमें परिजनों को निजी एंबुलेंस या वाहन रिजर्व कर शव ले जाना पड़ता है. वाहन नहीं मिलने की वजह से मृतक के परिजन आये दिन हंगामा करते हैं. यह स्थिति पीएमसीएच, एनएमसीएच आदि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की है.
क्या है सुविधा
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के तहत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मोड में सम्मान फाउंडेशन से मिल अत्याधुनिक शव वाहन की सुविधा शुरू की गयी है. इस सुविधा के लिए आम लोग भी मदद ले सकते हैं, इसके लिए उनको 1099 टॉल फ्री नंबर पर कॉल करना होता है. शव वाहन का चार्ज प्रति किलोमीटर की दूरी व घंटे के हिसाब से परिजनों को देना होता है. दूसरे जिलों में जाने के लिए बुकिंग चार्ज अलग से लिया जाता है.
पीएमसीएच में सिर्फ दो शव वाहन
सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सिर्फ दो शव वाहन की सुविधा दी गयी है. जबकि यहां रोजाना छह से आठ ऐसे गंभीर मरीजों की मौत हो जाती है.
लेकिन इन मौतों में सिर्फ दो से तीन शवों के लिए ही शव वाहन उपलब्ध हो पाता है. बाकी को परिजन प्राइवेट वाहन से ले जाते हैं. जानकारों की मानें तो शव वाहन पटना से दूर दराज के जिलों तक जाते हैं, जिन्हें लौटने में काफी समय लग जाता है, यही वजह है कि हर शव के लिए वाहन उपलब्ध नहीं हो पाता है.
कई बार तो
ठेले या फिर कंधे पर रख कर शव ले जाते देखा गया है. यहां तक कि इमरजेंसी से पोस्टमार्टम हाउस व वहां से शव को गंतव्य तक ले जाने की समस्या परिजनों के सामने खड़ी हो जाती है. साधन और अन्य इंतजामों के लिए परिजन काफी देर तक मदद के लिए यहां-वहां भटकते रहते हैं. लेकिन अस्पताल की ओर से वाहन कम होने की बात कह लौटा दिया जाता है.
केस 1
पीएमसीएच में इलाज के दौरान नौ मई को बहादुर केवट (54) की मौत के बाद शव ले जाने के लिए सरकारी एंबुलेंस नहीं मिला. मृतक की पत्नी ने पीएमसीएच प्रशासन से शव वाहन के लिए फरियाद की. लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा. थक हार कर मृतक की पत्नी सुशीला देवी को अपना आंचल फैलाना पड़ा था.
पीएमसीएच परिसर में मौजूद लोगों से भीख मांगने के बाद जब पैसा जमा हुआ, तो वह अपने पति के शव को ले जा सकी.
केस 2
27 अक्तूबर को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती एक बुजुर्ग मरीज की मौत हो गयी, इसके बाद उनके परिजन शव वाहन के लिए चक्कर लगाते रहे. जब वाहन नहीं मिला, तो अंत में परिजन प्राइवेट वाहन से शव लेकर अपने घर गये. बुजुर्ग नवादा जिला का रहने वाला था.
परिजनों का कहना था कि अस्पताल परिसर में ही शव वाहन खड़ा था, लेकिन उसमें खराबी की बात कह उसे वाहन नहीं दिया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
पीएमसीएच में मरीज के परिजनों की सुविधा के लिए मरचुरी वाहन भी दिये गये हैं. हालांकि यहां मरीज व मृतकों की संख्या अधिक होती है. वाहन बढ़ाने की बात चल रही है.
वहीं अगर परिसर में वाहन
है और इसके बावजूद शव वाहन नहीं मिल रहे हैं, तो यह बहुत ही गलत है. अगर शिकायत मिलती
है तो कार्रवाई की जायेगी.
-डॉ दीपक टंडन, अधीक्षक, पीएमसीएच

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