पटना: यह जनता का आदेश है. कोई भी उम्मीदवार हो, सब जनता के दरबार में गुहार लगाने जाते हैं. हमें जनता ने स्वीकार नहीं किया. उनका फैसला सिर माथे पर. फैसले को देख कर लगता है कि नरेंद्र मोदी की लहर में हमारे जैसे सब लोग बह गये. स्थानीय सांसद के क्षेत्र में नहीं रहने की लाख शिकायतों के बावजूद उनके जीतने को लहर के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता.
सबक : यूपीए सरकार ने काम, तो बहुत किया, लेकिन प्रोपगंडा नहीं कर पाये. जनता के बीच अपनी उपलब्धियों को सही ढंग से नहीं पहुंचा पाये.भाजपा ने जैसा प्रचार किया, उसके सामने हम कहीं नहीं टिके. खास कर नौजवान वोटरों तक अपनी नीतियां नहीं पहुंचा सके.
आगे क्या : राजनीति में बहुत दिनों से हूं, मगर चुनाव पहली बार लड़ा, इसलिए लोगों को संदेह होता है. चूंकि मेरा परिवार राजनीति से जुड़ा रहा है, इसलिए हार के बाद भी जनता में बना रहूंगा. पार्टी की गतिविधियों में शामिल होता रहूंगा. अपनी रोजी-रोटी के लिए फिल्मों में भी काम करता रहूंगा.