पटना : स्टार्टअप के प्रचार प्रसार पर भारी रकम खर्च किए जाने के बावजूद बिहार में स्टार्टअप के लिए अब तक प्राप्त 4635 आवेदनों में से मात्र 53 को योग्य पाया गया. हालांकि, उनमें से भी मात्र 29 को 71 लाख रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया. राज्य में 500 करोड़ रुपये के कोष के साथ पिछले वर्ष शुरू की गयी बिहार स्टार्टअप योजना के आॅनलाइन पोर्टल पर कुल 4635 आवेदन मिले और इनमें भी अधिकांश आटा चक्की, पान की दुकान और आटो रिक्शा की खरीद से जुड़े थे.
इन आवेदनों में से 53 को स्टार्टअप के योग्य पाया गया और 29 को पहली किश्त के तौर पर 71 लाख रुपये का भुगतान किया गया. हालांकि, राज्य में स्टार्टअप के प्रचार प्रसार पर हर 295 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. बिहार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि शायद स्टार्टअप के तहत आवेदन भरने वाले इसके बारे में वेबसाइट पर दी गयी जानकारी को ठीक से पढ़ नहीं पाये इसलिए दुकान आदि खोलने को लेकर भी उन्होंने आवेदन डाल दिया.
उन्होंने कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य है ऐसे कारोबार लगाने में मदद करना, जो नवोन्मेषी हों, जिसकी उपयोगिता हो और जिससे लोगों को फायदा हो पर जानकारी के अभाव में लोग पारंपरिक काम धंधों को भी स्टार्ट अप मानकर आवेदन डाल रहे हैं. सिंह ने कहा कि स्टार्टअप की जानकारी रखने वाले जिन युवाओं द्वारा जो भी आवेदन दियेगये हैं उनकी प्रारंभिक जांच के बाद उनका चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक 53 स्टार्टअप ऐसे हैं, जिन्हें मानदंडों के अनुरूप सही पाया गया.
बिहार स्टार्टअप नीति 2017 के कार्यान्वयन के लिए बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट का गठन किया गया है तथा 500 करोड़ रुपये प्रारंभिक कोष का सृजन किया गया है. बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट द्वारा उद्योग विभाग के प्रधान सचिव अथवा सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति स्टार्टअप के सभी आवेदनों की प्रारंभिक समीक्षा करती है.