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कंपनी बिजली खरीद कर दूर करेगी गर्मी

पटना : हर साल गर्मी के मौसम में पंखा, कूलर, एसी जैसे विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ जाने से बिजली की मांग और खपत भी बढ़ जाती है. इस साल भी बिजली की मांग प्रतिदिन 5000 मेगावाट से अधिक होने की संभावना है. बिहार में इसकी आपूर्ति के लिए दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड […]

पटना : हर साल गर्मी के मौसम में पंखा, कूलर, एसी जैसे विद्युत उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ जाने से बिजली की मांग और खपत भी बढ़ जाती है. इस साल भी बिजली की मांग प्रतिदिन 5000 मेगावाट से अधिक होने की संभावना है. बिहार में इसकी आपूर्ति के लिए दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) और उत्तर बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) ने अतिरिक्त व्यवस्था की है. ये कंपनियों बाहर के राज्यों से भी बिजली खरीदकर अपने उपभोक्ताओं को आपूर्ति करेंगी.

विद्युत वितरण कंपनियों के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बिहार में इस समय बिजली की मांग प्रतिदिन करीब 44 से 4500 मेगवाट है. इसकी विद्युत वितरण कंपनियां इस मांग की आपूर्ति करने का प्रयास कर रही हैं. बिहार मुख्य रूप से सेंट्रल पूल पर आश्रित है. बिहार को सेंट्रल पुल से 2942 मेगावाट बिजली आवंटित है, लेकिन मिलती करीब 2500 मेगावाट है. राज्य को 1500 मेगावाट बिजली रोजाना खुले बाजार से खरीदनी पड़ रही है. सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्र में औसतन 22 से 23 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 16 से 18 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है.
प्रति व्यक्ति खपत बढ़ कर हुई 258 यूनिट
हाल के दिनों में बिजली के क्षेत्र में काफी काम हुआ है और आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है. बिजली आपूर्ति में सुधार का ही नतीजा है कि राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 258 यूनिट हो गयी है. पहले यह 203 था. 2005 में बिजली की मांग 1200 मेगावाट थी, जो आज यह बढ़ कर 4500 मेगावाट हो गया है. विद्युतीकरणकी दिशा में भी काम काम हुआ है. साल के अंत तक सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है. सरकार सेंट्रल पुल से भी आवंटन बढने की उम्मीद कर रही है. सरकार अक्षय ऊर्जा की दिशा में काम कर रही है. सरकार ने नयी सोलर नीति भी बनायी है.
उपभोक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी : आकलन है कि चालू वित्तीय
वर्ष 2017-18 में 25119 करोड़ और 2018-19 में 34105 करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत राज्य में होगी.

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