पटना : ठोस कचरा प्रबंधन के तहत निगम प्रशासन ने 30 करोड़ से अधिक के सफाई उपकरणों की खरीदारी की है. इन उपकरणों में छोटे-बड़े जेसीबी, छोटे-बड़े कॉम्पैक्टर, जेट सेक्शन मशीन, दस फॉगिंग मशीनें और 155 से अधिक ऑटो टीपर शामिल हैं.
लेकिन, निगम प्रशासन ने इन उपकरणों की मेंटेनेंस तो दूर धुलाई की व्यवस्था तक नहीं की है. स्थिति यह है कि टायर पंक्चर हो गया या फिर इंजन में छोटी-मोटी गड़बड़ी को ठीक करने के लिए प्राइवेट मैकेनिक का सहारा लेना पड़ता है. इससे एक दिन का काम एक सप्ताह में होता है.
नगर निगम : बिना रजिस्ट्रेशन के चलायी जा रही हैं गाड़ियां
निगम प्रशासन ने बड़ी संख्या में ऑटो टीपर व कॉम्पैक्टर की खरीदारी की. लेकिन, इनमें अधिकतर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नहीं किये गये हैं.
बिना रजिस्ट्रेशन कराएं कॉम्पैक्टर को कचरा उठाव कार्य में लगाया गया था. इस कॉम्पैक्टर से दिसंबर, 2015 में न्यू बाइपास पर दुर्घटना हो गयी और बाइपास थाना ने गाड़ी को जब्त कर लिया. 50 लाख की गाड़ी अब तक बाइपास थाने में सड़ रही है. इसके बावजूद 70 प्रतिशत ऑटो टीपर और कॉम्पैक्टर बिना नंबर प्लेट के कचरा उठाव कार्य में लगायी गयी है. कई वाहनों के केवल टायर खराब होने से अंचल कार्यालयों में पड़े हुए हैं.
पार्किंग की भी नहीं है जगह
सफाई कार्य में लगे वाहनों को खड़ा करने के लिए भी निगम के पास जगह नहीं है. यह स्थिति तब है, जब निगम की दर्जनों अपनी भूखंड पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. इसके बावजूद नूतन राजधानी अंचल, बांकीपुर और कंकड़बाग अंचल क्षेत्रों की गाड़ियां सड़कों पर खड़ी की जाती है. आलम यह है कि नूतन राजधानी अंचल कार्यालय के सामने हार्डिंग रोड के दोनों किनारे कॉम्पैक्टर, जेसीबी और टीपर खड़ी रहती है.
अधर में लटकी है वर्कशॉप बनाने की योजना
पटना :सफाई कार्य में 200 से अधिक गाड़ियों का उपयोग किया जा रहा है. इन गाड़ियों के प्रोपर मेंटेनेंस को लेकर निगम प्रशासन ने पटना सिटी में वर्कशॉप बनाने की योजना तैयार की. इसको लेकर भूखंड का भी चयन किया गया. ताकि, शीघ्र वर्कशॉप बना कर अपनी गाड़ियों का मेंटेनेंस सुनिश्चित किया जा सके. लेकिन, अब तक वर्कशॉप तैयार नहीं किया जा सका है. स्थिति यह है कि वर्कशॉप बनानेवाली योजना की फाइल अधर में लटकी हुई है, जिस पर न नगर आयुक्त व न मेयर का ध्यान है.