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बिहार : प्राइवेट स्कूलों ने 25 से 30 फीसदी तक बढ़ा दी फीस

मनमानी. फीस नियंत्रण के लिए कानून बनने से पहले ही स्कूलों ने उठाया फायदा पटना : हर साल की तरह इस बार भी प्राइवेट स्कूलों में फीस वृद्धि की गयी है. इस बार स्कूलों ने एडमिशन फीस के साथ ट्यूशन फीस में भी बढ़ोतरी की है. अभी राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों में फीस नियंत्रण के […]

मनमानी. फीस नियंत्रण के लिए कानून बनने से पहले ही स्कूलों ने उठाया फायदा
पटना : हर साल की तरह इस बार भी प्राइवेट स्कूलों में फीस वृद्धि की गयी है. इस बार स्कूलों ने एडमिशन फीस के साथ ट्यूशन फीस में भी बढ़ोतरी की है. अभी राज्य सरकार प्राइवेट स्कूलों में फीस नियंत्रण के लिए एक्ट बना रही है, लेकिन एक्ट लागू हो इससे पहले स्कूलों ने फीस बढ़ा दी. इस बार स्कूलों ने 25 से 30 प्रतिशत तक की वृद्धि की है.
अभिभावक बताते हैं कि हर साल स्कूल मनमाने तरीके से फीस वृद्धि करते हैं, लेकिन इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. एडमिशन से लेकर रि-एडमिशन, किताब-कॉपी, डेवलपमेंट फीस, यूनिफॉर्म आदि के नाम पर तो शिक्षा के बाजार में अभिभावक लुट ही रहे हैं, फीस वृद्धि की मार से भी वे त्रस्त हैं.
पिछले वर्षों की तुलना में अधिक वृद्धि: कुछ वर्षों के आंकड़े को देखा जाये, तो अधिकतम 15-20 प्रतिशत तक की वृद्धि की जाती रही है. अभिभावकों की मानें, तो इस बार उससे अधिक वृद्धि की गयी है. वहीं क्रिश्चियन माइनॉरिटी स्कूल एसोसिएशन के अनुसार इस बार पिछले वर्षों की तुलना में फीस में कम वृद्धि की गयी है. अंतिम फैसला अभी लिया जाना है. एसोसिएशन के अनुसार इस बार 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की जा रही है.
शिक्षकों की सैलरी के नाम पर बढ़ती है फीस
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व शिक्षकों के वेतन में बढ़ोत्तरी के नाम पर स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि की जाती है. लेकिन इस बार भी उनकी फीस में बहुत कम वृद्धि की गयी है. बताते हैं कि फीस वृद्धि का अधिकतम 25 से 30 प्रतिशत ही उनके वेतन में जोड़ा गया है. कुछ स्कूलों ने नयी फीस के संबंध में अभिभावकों को जानकारी दे दी है, कुछ स्कूलों द्वारा जल्द ही जानकारी देने की तैयारी की गयी है.
एफिडेविट की ढाल
एडमिशन के वक्त अभिभावकों से
शपथ पत्र साइन करा रहे स्कूल
अभिभावकों को स्कूल की सभी शर्तों को पूरा करते हुए उसके ऑफिस तक जाना पड़ रहा है. जहां अपनी शर्तों को मनवाने के लिए स्कूल हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं.
यहां तक कि कुछ स्कूलों में एडमिशन के समय मोबाइल लेकर जाने की भी मनाही होती है. इसके पीछे स्कूलों का तर्क नहीं मिल सका है. इस वर्ष अपनी बच्ची का एडमिशन करा चुके एक अभिभावक ने बताया कि स्कूलों द्वारा शपथ-पत्र भी लिया जा रहा है, ताकि भविष्य में किसी बात पर अभिभावक प्रतिरोध न कर सकें. प्रिंटेड एफिडेविट स्कूलों द्वारा तैयार किया गया.
केस स्टडी
एक अभिभावक ने बताया कि शपथपत्र सरसरी निगाह से देखा तो लिखा था कि यदि स्कूल के निर्देशों पर किसी तरह का प्रतिरोध दर्ज कराने की स्थिति में बच्चे को टीसी दे दी जायेगी. उस पर केवल बच्ची का नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर लिखना था. उसके बाद हस्ताक्षर किया.

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